कैसे आए मजेदार आलू चिप्स...

प्यार बच्चों! आपको आलू के चिप्स बहुत पसंद है, मगर जितने मजेदार और कुरकुरे यह चिप्स हैं, उससे ज्यादा हैरतभरी है उसकी कहानी।

हुआ यूं कि सन् 1853 की गर्मियों की एक रात वांडर विल्ट ने अपना ट्रक सारातोगा (न्यूयॉर्क) इलाके के एक रेस्टॉरेंट के सामने रोका और फ्रेंच फ्राई का ऑर्डर दिया।

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बैरा जब आलू के तले मोटे लंबे कतले लेकर आया तो वांडर ने पतले कतले लाने का आदेश दिया। वहां के रसोइए जार्ज क्रम ने फ्रेंच फ्राई कम मोटे बनाए, मगर वांडर ने नापसंद कर पतले और कुरकुरे बनाने का आदेश दे डाला।

यह सुनकर जार्ज क्रम ने क्रोध आकर कागज जैसे पतले कतलों को तल कर छाना और वांडर को चिढ़ाने की नीयत से पेश कर दिया, मगर वांडर को वे अच्छे लगे। क्रम को भी लगा कि यह तो नई ‍चीज है। बस फिर क्या था ‘सारातोगा चिप्स’ को लोग चाव से खाने लगे।

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सन् 1926 में श्रीमती स्कडर ने सारातोगा चिप्स की फैक्टरी खोल डाली और तभी मोमिया कागज के लिफाफों का चलन शुरू हुआ था। चिप्स भरे लिफाफों को इस्तरी के जरिए पैक कर दूर-दराज के क्षेत्रों में भेजा जाने लगा।

फिर हरमन ले नाम के सेल्समैन ने चिप्स को न्यूयॉर्क से पूरे अमेरिका में फैलाने का काम किया।

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पहले तो वह अन्य चीजों की तरह स्कडर के बनाए चिप्स दूसरे शहरों में घूमकर बेचता था, मगर स्कडर के चिप्स की लोकप्रियता के कारण दूसरी चीजें बेचना बंद कर सिर्फ चिप्स को ही बेचने लगा।

बाद में उसने स्वयं चिप्स बनाने का कारोबार शुरू कर दिया। सन् 1961 में ले’ज पोटेटो चिप्स अमेरिका का सबसे बड़ा और लोकप्रिय ब्रांड बन गया।

हालांकि रसोइए के क्रम्स चिप्स और बड़े पैमाने पर दूर-दराज तक पहुंचाने वाली चिप्स को ‘स्कडर वैज’ के नाम से प्रसिद्धि मिली, मगर वांडर विल्ट जिसके कारण इनका जन्म हुआ, उसे कोई ख्याति नहीं मिल सकी।

- उषा भारती

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