क्‍या है लेटरल थिंकिंग ?

जब कोई भी व्यक्ति किसी भी समस्या का तार्किक हल न देकर अपनी कल्पना वाली बात करता है तो उसकी वह सोच लेटरल थिंकिंग कहलाती है। सोच की इस प्रक्रिया में व्यक्ति तर्कों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर जाता है। यह टर्म एक ब्रिटिश मनोवैज्ञानिक और 'द यूजेज ऑफ लेटरल थिंकिंग' के लेखक एडवर्ड डी बोनो ने दी थी।

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