Jingle Bells : सैकड़ों वर्ष पहले के क्रिसमस पर्व में और आज के क्रिसमस पर्व में वक्त के साथ बहुत परिवर्तन हो चुका है। पहले क्रिसमस के साथ सैंटा क्लॉज और जिंगल बेल का सॉन्ग नहीं जुड़ा था। यह बाद में इस त्योहार के साथ जोड़ा किया ताकि लोगों की क्रिसमस में रुचि बढ़े। उपभोक्तावाद के चलते अब यह त्योहार पहले की अपेक्षा और भी मजेदार हो चला है। आज जानते हैं जिंगल बेल का सच।
जिंगल बेल का सच:-
जिंगल बेल के गाने को ईसाई धर्म में क्रिसमस से जोड़ दिया गया है, लेकिन कुछ लोग यह मानते हैं कि यह क्रिसमस सॉग्न है ही नहीं।
यह थैंक्सगिविंग सॉग्न है जिसे 1850 में जेम्स पियरपॉन्ट ने 'वन हॉर्स ओपन स्लेई' शीर्षक से लिखा था।
जेम्स पियरपॉन्ट ने यह गीत ऑर्डवे के संगीत ग्रुप के लिए लिखा गया था और सन 1857 में इसे पहली बार आम दर्शकों के सामने गाया गया था।
पियरपॉन्ट जार्जिया के सवाना में म्यूजिक डायरेक्टर थे। पियरपॉन्ट की मौत से 3 साल पहले यानी 1890 तक यह क्रिसमस का हिट गीत बन गया था।
रिलीज के दो साल बाद इसका शीर्षक बदल कर 'जिंगल बेल्स' कर दिया गया।
इस क्रिसमस गीत में कभी भी क्रिसमस का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन संयोगवश यह गाना क्रिसमस गाने के रूप में मशहूर हो गया।
जिंगल बेल के कई वर्जन :-
अब तो जिंगल बेल के ऐसे भी वर्जन सुनने को मिलते हैं जिसमें क्रिसमस का उल्लेख भी किया गया है।
आजकल हर चर्च, गली मोहल्ले या शॉपिंग मॉल में आपको क्रिसमस पर जिंगल बेल जिंगल सांग सुनाई देगा।
अब यह गीत क्रिसमस से इतना जुड़ गया है कि इसके बगैर तो क्रिसमय को अधूरा ही माना जाएगा।
जिंगल बेल की ही थीम पर कई और भी सांग बने और इस पर कई पैरोडियां भी बन गई है।
इस क्रिसमस गीत के अब मराठी, भोजपुरी आदि कई भाषाओं में इसके कई लोकल वर्जन भी सुनने को मिलते हैं।
बॉलीवुड गानों में भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है।