ऐसे माहौल में हमारे बदन का तापमान सामान्य से ज्यादा होकर बढ़ता रहता है, कई मर्तबा जब यह तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट से 100 डिग्री फारेनहाइट तक चला जाता है तो हमारे शरीर में घबराहट होती है तथा अर्द्ध चेतना की अवस्था भी आ जाती है- आखों के समक्ष काले-पीले अंधेरे छाने लगते हैं। ऐसे में शरीर की नब्ज की गति भी कम हो जाती है।
वैसे हमारे मस्तिष्क में तापमान नियंत्रित करने का एक कक्ष भी होता है, जो बदन के तापमान को नियंत्रित करता है, यह वातावरण के अनुसार बदन को गरम या ठंडा रखता है। लेकिन ऐसी स्थिति में हाथ-पैरों में जलन होने लगती है। आंखें भी लाल होकर जलने लगती हैं तथा बार-बार प्यास लगने लगती है।
आखिर गर्मी की लू हमारे शरीर को क्यों लगती है? इसके कई कारण हैं, जैसे शरीर में पानी की मात्रा की कमी होना, शरीर में नमक की मात्रा का अचानक घट जाना, धूप में लगातार कार्य करते रहना, घर से भूखे पेट निकलकर धूप में अधिक देर तक भ्रमण करना, धूप से आने के बाद तुरंत ठंडा पानी पी लेना आदि।