क्यों मनता है अग्निशमन सेवा दिवस...

तेज उठती लपटें और उनके बीच किसी के उजड़ते आशियाने को बचाने की मंशा फायरकर्मियों में देखने को मिलती है। वे हर दिन आग से खेलने का काम करते हैं। इस खतरनाक काम को अंजाम देते हुए उन्हें अपनी जान की भी फिक्र नहीं होती। फिक्र होती है तो उन्हें सिर्फ उस जलते मंजर या फिर उसमें धधकती जिंदगी को बचाने की। आग लगने वाली जगहों पर फायरमैन सिर्फ एक फोन कॉल पर दौड़ पड़ते हैं।
 

 
दूसरों के हिस्से की तपन को झेलते हुए जनता की रक्षा व सुरक्षा के लिए कृत संकल्पित इस जांबाज फायरमैन दल के लिए अग्निशमन दिवस महज कौशल प्रदर्शन का मंच नहीं है, वरन ये स्मृति दिवस है उन 66 अग्निशमन कर्मचारियों की शहादत का, जिन्होंने जनसेवा करते हुए सहर्ष मृत्यु का वरण किया।
 
वह 14 अप्रैल 1944 का एक धधकता शुक्रवार था, जब विक्टोरिया डाक बंबई में सेना की विस्फोट सामग्री से भरा पानी का जहाज लपटों के आगोश में समा गया। आग पर काबू पाने के लिए बंबई फायर सर्विस के एक सैकड़ा अधिकारी व कर्मचारी घटनास्थल पर भेजे गए।

अटूट साहस और पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए इन जांबाज अग्निशमन कर्मचारियों ने धधकती ज्वाला पर काबू करने का भरसक प्रयत्न किया। आग पर नियंत्रण तो पा लिया गया, लेकिन इस कोशिश में 66 फायरमैन को अपनी जान की आहूति देनी पड़ी।

उन्हीं 66 शहीद अग्निशमन कर्मचारियों को श्रद्धांजलि देने के लिए अग्निशमन सेवा दिवस मनाया जाता है।

इस दिवस के विभिन्न आयोजन पूरे सप्ताह भर चलते हैं। सप्ताह के दौरान फायर ब्रिगेड द्वारा विभिन्न कारखानों, शैक्षणिक संस्थाओं, ऑइल डिपो आदि जगहों पर अग्नि से बचाव संबंधी प्रशिक्षण दिया जाता है।

अग्निशमन सप्ताह के अंतर्गत नागरिकों को अग्नि से बचाव तथा सावधानी बरतने के संबंध जागृत करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। इसका उद्देश्य अग्निकांडों से होने वाली क्षति के प्रति नागरिकों को जागरूक करना होता है। 



 

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