विश्व दयालुता दिवस हर साल 13 नवंबर को मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत 1997 में जापान से हुई थी। टोक्यो में पहली बार दया के लिए विश्व आंदोलन सम्मेलन रखा गया था। जिसका उद्देश्य है लोगों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करना। दुनियाभर में तमाम एनजीओ संगठन को कानून के तहत आधिकारिक एनजीओ के रूप में रजिस्टर किया। टोक्यो में 1998 से यह शुरू किया गया। साल 2000 के बाद इस आंदोलन को आधिकारिक दर्जा मिला। आज कई देशों में 13 नवंबर को दयालुता दिवस मनाया जाता है। यह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, नाइजीरिया सहित संयुक्त अरब अमीरात में भी मनाया जाता है। हालांकि लंबे अरसे बाद सिंगापुर भी इस मुहिम में शामिल हो गया। और भारत और इटली में इस मुहिम का हिस्सा बन गया।
यह जरूर वैचारिक है कि दयालुता दिखाने वाले भगवान जी की भी अहम कृपा रहती है। इसमें भी सच्चाई है कि दया करने पर आत्म संतोष भी होता है। जॉन रस्किन ने दयालुता पर भी बहुत बड़ी वैचारिक बात कही थी जिसे सुनने के बाद किसी का भी मन थोड़ा या थोड़े समय के लिए प्रेरित हो सकता है। उन्होंने कहा था, 'एक छोटे से विचार और थोड़ी सी दयालुता अक्सर बहुत अधिक पैसे से अधिक मूल्यवान होती है। दयालुता पर बड़े -बड़े महापुरुषों ने अक्सर अपने विचार रखें। आइए जानते हैं क्या कहा -
दया सबसे बड़ा धर्म है।
- महाभारत
जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप।
जहां क्रोध तहं काल है, जहाँ क्षमा आप॥ - कबीरदास
मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं।
- हजरत मोहम्मद
जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं।
-शेख सादी