ईसाइयों की पवित्र पुस्तक बाइबिल- यूहन्ना- 18, 19 में इस घटना का विस्तार से विवरण मिलता है। हालांकि इससे इतर भी इस घटना का वर्णन मिलता है। यहां पर सभी का समायोजन किया गया है। बाइबल और कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार ईसा मसीह को सूली दिए जाने के कई कारण थे जिसमें से 2 कारणों को प्रमुख माना जा सकता है।
2. रोमनों के कलेक्टर्स की शिकायत पर सूली: एक थ्योरी यह भी कहती है कि ईसाया की बुक ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार कहते हैं कि येशु जब गधे पर बैठकर आते हैं तो येरुशलम में खजूर की डालियां उठाकर लोग उनका स्वागत करते हैं, जो यह मान रहे थे कि यह बनी इस्राइल के तामाम दुश्मनों को हरा देगा। फिर यीशु जाते हैं टेम्पल मांउट के ऊपर और वे देखते हैं कि टेम्पल के जो आउटर कोटयार्ड है उसके अंदर रोमन टैक्स कलेक्टर बैठे हैं, मनी चेंजरर्स बैठे हैं और वहां पर हर तरह का करोबार हो रहा है। यह देखकर यीशु को बहुत दु:ख होता है कि टेम्पल (पवित्र मंदिर) में इस तरह का कार्य हो रहा है तो वह अपना कबरबंध (बैल्ट) निकालकर उससे उन लोगों को मार-मार कर उन्हें वहां से निकाल देते हैं। बाद में जब रोमनों के गवर्नर को यह पता चला तो वे इसकी सजा के तौर पर यीशु को सूली देने का ऐलान कर देते हैं।
क्यों दिया था जुदास ने धोखा?
29 ई. को प्रभु ईसा गधे पर चढ़कर येरुशलम पहुंचे और वहीं उनको दंडित करने का षड्यंत्र रचा गया। उनके शिष्य जुदास ने उनके साथ विश्वासघात किया। जिसे यहूदा भी कहते थे।अंतत: उन्हें विरोधियों ने पकड़कर क्रूस पर लटका दिया। उस वक्त उनकी उम्र थी लगभग 33 वर्ष। ईसा मसीह ने क्रूस पर लटकते समय ईश्वर से प्रार्थना की, 'हे प्रभु, क्रूस पर लटकाने वाले इन लोगों को क्षमा कर। वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।'