6 अप्रैल से नव-संवत् 2076 प्रारंभ होने जा रहा है। इस संवत्सर का नाम "परिधावी" होगा। इस नवीन संवत्सर के मंत्री मंडल में राजा शनि होंगे, सूर्य मंत्री होंगे, पूर्व धान्येश बुध, पश्चिम धान्येश चन्द्र होंगे। "परिधावी" नामक संवत्सर में मेघेश शनि, रसेश शुक्र, धनेश मंगल होंगे।
कैसे मनाएं गुड़ी-पड़वा
हमारे सनातन धर्म व हिन्दू परंपरा में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष का प्रारंभ होता है। जिसे गुड़ी-पड़वा कहते हैं। इस दिन सभी हिन्दू धर्मावलंबियों को अपने घर में 'गुड़ी' की स्थापना करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान के पश्चात गुड़ी का पूजन कर उसे अपने घर की छत पर स्थापित करें। तत्पश्चात अपने ईष्ट देव एवं पंचांग का पंचोपचार पूजन कर पंचांग के वार्षिक फल का श्रवण करें। इसके उपरांत कड़वी नीम, काली मिर्च एवं मिश्री के मिश्रण का सेवन करें।
गुड़ी-पड़वा पर रहेगा स्वयंसिद्ध मुहूर्त-
वर्ष प्रतिपदा के अवसर पर स्वयंसिद्ध मुहूर्त रहेगा। सनातन धर्म में मुहूर्त का विशेष महत्त्व होता है। किसी भी शुभकार्य या शुभ-कर्मकांड को करने से पूर्व शुभ मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है।
शास्त्रोक्त मान्यता है कि यदि शुभ मुहूर्त साध लिया जाए तो अधिकांश दोषों का निवारण केवल शुभ मुहूर्त में किए गए कर्मों से हो जाता है। लेकिन हिन्दू वर्ष में कुछ विशेष दिन ऐसे भी आते हैं जब स्वयंसिद्ध मुहूर्त होता है अर्थात् उस पूरे दिन ही शुभ मुहूर्त रहता है।
ऐसे मुहूर्त को "स्वयंसिद्ध मुहूर्त" या "अबूझ मुहूर्त" की संज्ञा दी गई है। पंचांग अनुसार "स्वयंसिद्ध मुहूर्त" की संख्या साढ़ेतीन बताई गई है। वर्ष प्रतिपदा अर्थात् गुड़ी-पड़वा इन्हीं साढ़ेतीन स्वयंसिद्ध मुहूर्त में सम्मिलित है। पाठकगण गुड़ी-पड़वा के पूरे दिन अपने शुभकार्यों का प्रारंभ कर सकते हैं।