आपको ज्ञात होगा कि देशभर में दशहरे पर रावण दहन होता है। लेकिन उज्जैन संभाग का एक गांव ऐसा है, जहां हिन्दू नववर्ष (गुड़ी पड़वा) और नवरात्रि के प्रथम दिवस की शुरुआत रावण दहन के साथ की जाती है। बरसों से यहां के लोग इस अनूठी परंपरा का निर्वाह करते आए हैं।
संभवत: देश का यह ऐसा अकेला गांव है जहां नए वर्ष पर रावण दहन किया जाता है। कुछ सालों पहले तक ग्रामीणजन रावण के पुतले को पत्थरों एवं डंडों से पीट-पीट कर वध करते थे, लेकिन समय बदला तो रावण के मारने का तरीका भी बदला। अब आतिशबाजी के साथ रावण के पुतले का दहन किया जाता है।
ग्रामीणों के अनुसार रावण दहन के पूर्व अमावस्या की रात्रि को गांव के तालाब किनारे रात भर रामलीला का मंचन किया जाता है तथा इसके बाद गुड़ी पड़वा के दिन की सुबह ग्यारह बजे रावण वध के लिए राम व रावण की सेना तैयार होकर युद्ध करते हुए रावण दहन के स्थान पर पहुंचती है तथा राम द्वारा रावण की नाभी पर अग्निबाण से प्रहार किया जाता है।