डाउजिंग: अदृश्य शक्तियों द्वारा मार्गदर्शन

पं. हेमन्त रिछारिया

मंगलवार, 8 जुलाई 2025 (16:55 IST)
हमारा ब्रह्मांड अद्भुत रहस्यों से परिपूर्ण है। यह रहस्य अनेकानेक विद्याओं में निहित हैं; इनमें ज्योतिष, रमल, सामुद्रिक शास्त्र, टैरो जैसी विद्याओं के साथ-साथ 'डाउजिंग' जैसी परा-विद्याओं का अग्रणी स्थान है। ये सभी विद्याएं हमें पारलौकिक अदृश्य शक्तियों की अनुभूति कराती हैं।ALSO READ: खप्पर योग के चलते 5 राशियों को रहना होगा बचकर, कर लें ये 4 उपाय
 
मैं ज्योतिष के क्षेत्र में विगत 20 वर्षों से सक्रिय हूं। मैंने ज्योतिष विद्या को रूढ़िवादी शास्त्र के स्थान पर सदैव अनुसंधानात्मक विद्या के रूप परखा है और इसका आश्चर्यजनक परिणाम जानकर मैं विस्मयविमुग्ध के साथ-साथ गौरवान्वित भी हूं कि कैसे भारतीय मनीषा ने ब्रह्मांड के इन गूढ़ रहस्यों को समझने एवं उनका विश्लेषण करने में एक अग्रणी भूमिका निभाई है। 
 
आज जहां 'टैरो' और 'डाउजिंग' विद्या अब इस विश्व में अपना स्थान बना रही हैं वहीं भारत में यह विद्याएं अत्यंत प्राचीनकाल से विद्यमान होते हुए प्रयोग में ली जा रही हैं। मैं निश्चित ही ज्योतिष को विज्ञान की श्रेणी में रखता हूं क्योंकि इसके सिद्धांत अकाट्य और कार्य-कारण के संबंधों के अनुरूप होते हैं।

वर्तमान में भविष्य का संकेत प्राप्त करने के लिए विश्व में नित नवीन खोजें की जा रही हैं। इस हेतु अनेकानेक माध्यम विकसित किए जा रहे हैं जिससे हमें पारलौकिक जगत से संबंध स्थापित कर अपने जीवन के लिए सटीक मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। 
 
ऐसी ही एक विद्या है-'डाउजिंग', 'डाउजिंग' में एक पाषाण (पत्थर) के छोटे से टुकड़े या पिंड के माध्यम से साधक अदृश्य शक्तियों से अपने प्रश्नों का सटीक व सही उत्तर प्राप्त करता है। 'डाउजिंग' के उपयोग में लाए जाने वाले पाषाण को 'डाउजिंग पेंडुलम' या 'डाउजर' कहा जाता है जो प्रयोग करने वाले के आभामंडल (औरा) और अवचेतन मन से संबंधित होकर प्रश्नों का उत्तर देता है। इसके परिणाम आश्चर्यजनक होते हैं। 
 
साधक यह जानकर अत्यंत आनंदित और विस्मित हो जाता है कि कैसे अदृश्य शक्तियां इस 'डाउजिंग पेण्डुलम' के माध्यम से अपने दिव्य संदेश हम तक पहुंचाती हैं। 'डाउजिंग पेण्डुलम' पत्थर का बना होता है जो हमारे आभामंडल (औरा) व अवचेतन मन (अनकांशियस माइंड) से थोड़े प्रयासों के बाद संबंधित (कनेक्ट) हो जाता है और हमारे प्रश्नों के उत्तर देना प्रारंभ कर देता है।

इससे हमें एक अति-महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचने में सफलता मिलती है कि प्राचीनकाल से हमारे सनातन धर्म में भगवान की प्रतिमा या विग्रह को पाषाण का क्यों बनाया जाता रहा है। 
 
आज 'डाउजिंग' ने यह साबित कर दिया है कि पाषाण (पत्थर) मनुष्य के अवचेतन और उसके आभामंडल (औरा) से संबंधित होने में पूर्णरूपेण सक्षम है, केवल इतना ही नहीं पाषाण के माध्यम से दिव्य व अदृश्य शक्तियां ना केवल साधक की बात सुन सकती हैं अपितु उनके प्रश्नों का सही उत्तर व मार्गदर्शन भी प्रदान कर सकती हैं। 
 
हमारे मन्दिरों में भगवान की पाषाण प्रतिमा का होना इस बात का संकेत है कि जिस परा-विद्या को आज 'डाउजिंग' के नाम से शनै:-शनै: पूरे विश्व में मान्यता प्राप्त हो रही है, भारतवर्ष में वह विद्या मूर्ति-पूजा के रूप प्राचीनकाल से ही विद्यमान है एवं इसका लाभ साधक व आम-जनता सदियों से उठाते आ रहे हैं। मूर्ति-पूजा को रूढ़िवादी परंपरा बताने वाले दर्शन को आज 'डाउजिंग' ने पूरी तरह नकार कर मूर्ति-पूजा को पूर्णत: वैज्ञानिक सिद्ध कर दिया है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
सम्पर्क: [email protected]

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