Gudi Padwa Sakhar Gathi : गुड़ी पड़वा का त्योहार महाराष्ट्र और भारत के कई हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन हिंदू नववर्ष के आगमन का प्रतीक माना जाता है और इसे विशेष रूप से मराठी समुदाय बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाता है। इस दिन घरों में रंगोली बनाई जाती है, विशेष पकवान बनाए जाते हैं और सबसे महत्वपूर्ण परंपरा होती है गुड़ी को स्थापित करने की। गुड़ी को सजाने के लिए आम तौर पर एक लंबी बांस की लकड़ी पर रेशमी कपड़ा (अधिकतर पीले या लाल रंग का) बांधा जाता है, उसके ऊपर नीम की पत्तियां, आम के पत्ते, फूल, और एक तांबे या चांदी का कलश लगाया जाता है। इसके साथ ही गाठी या पतासे (गुड़ और चीनी से बने मीठे छोटे गोले) की माला भी इस गुड़ी पर चढ़ाई जाती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि गुड़ी पर गाठी या पतासे का हार क्यों चढ़ाया जाता है? इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? आइए जानते हैं विस्तार से।
गुड़ी पर गाठी/पतासे चढ़ाने का धार्मिक महत्व: गुड़ी पड़वा का संबंध भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी और इसे नववर्ष के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। वहीं, एक अन्य कथा के अनुसार, भगवान विष्णु के राम अवतार ने इसी दिन बाली के अत्याचार से दक्षिण भारत को मुक्त कराया था। इसे असत्य पर सत्य की जीत के रूप में भी देखा जाता है।
गाठी या पतासे को गुड़ी पर बांधने का एक धार्मिक कारण यह भी है कि यह मंगलकारी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। चीनी या गुड़ से बने ये छोटे-छोटे मीठे गोले मिठास, सुख और समृद्धि का प्रतीक होते हैं। इसे चढ़ाने से यह विश्वास किया जाता है कि आने वाला वर्ष मीठा, सुखद और आनंदमय रहेगा।
इसके अलावा, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गाठी या पतासे का हार देवी लक्ष्मी को भी समर्पित किया जाता है, जिससे घर में धन, ऐश्वर्य और खुशहाली बनी रहे। इस दिन इस हार को गुड़ी पर बांधने के बाद परिवार के सभी सदस्य इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं, जिससे सौभाग्य और सकारात्मकता प्राप्त होती है।
गाठी या पतासे चढ़ाने का वैज्ञानिक कारण: भारतीय त्योहारों में हर परंपरा के पीछे कोई न कोई वैज्ञानिक आधार जरूर होता है। गुड़ी पर गाठी या पतासे चढ़ाने की परंपरा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी एक बड़ा कारण है। गुड़ी पड़वा के समय गर्मियों की शुरुआत हो जाती है और इस मौसम में शरीर को अतिरिक्त ऊर्जा और रोग प्रतिरोधक क्षमता की जरूरत होती है। गाठी या पतासे मुख्य रूप से गुड़ और चीनी से बनाए जाते हैं, जो शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देते हैं और गर्मी में डिहाइड्रेशन से बचाने में मदद करते हैं।
गुड़ का सेवन आयुर्वेद में भी बेहद लाभदायक बताया गया है। यह डाइजेस्टिव सिस्टम को मजबूत करता है, शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इस प्रकार, जब गाठी या पतासे का हार गुड़ी पर चढ़ाया जाता है और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता है, तो यह न केवल धार्मिक रूप से शुभ माना जाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है।
गुड़ी पर चढ़ाए जाने वाले अन्य प्रतीक और उनका महत्व
गुड़ी पर गाठी या पतासे के अलावा कई अन्य चीजें भी सजाई जाती हैं, जिनका भी अपना विशेष महत्व होता है, जैसे-
रेशमी कपड़ा (पीला या लाल)- यह समृद्धि, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है।
नीम की पत्तियां- यह शरीर को शुद्ध करने और रोगों से बचाने के लिए लगाई जाती हैं।
आम के पत्ते और फूल- यह खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक माने जाते हैं।
तांबे या चांदी का कलश- यह सौभाग्य और देवी लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक होता है।
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