भाजपा के लिए यूं तो गुजरात हिन्दुत्व की प्रयोगशाला माना जाता है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी सॉफ्ट हिन्दुत्व भी असर दिखा रहा है। राहुल का मंदिरों में जाना और उनका तूफानी प्रचार इस बार भगवा दल के लिए खतरा बन सकता है। राहुल का नया अंदाज लोगों को पसंद भी आ रहा है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की सक्रियता भाजपा के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। राहुल के नए रूप ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भी प्राण फूंक दिए हैं। बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर राहुल की इस लोकप्रियता के पीछे आखिर है कौन? माना जा रहा है कि इस सबके पीछे राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और गुजरात के प्रभारी अशोक गहलोत का दिमाग काम कर रहा है।
दरअसल, गहलोत ने गुजरात का प्रभारी बनने के बाद भाजपा और स्थानीय परिस्थितियों का गंभीरता से अध्ययन किया और उसके बाद नए सिरे से कांग्रेस की रणनीति बनाई। गहलोत की 'चाणक्य नीति' का ही असर था कि गुजरात में अपने चार चरण के प्रवास में राहुल ने इतनी लोकप्रियता हासिल कर ली, जितनी वे पहले कभी नहीं कर पाए।
दरअसल, गहलोत अपने लंबे राजनीतिक अनुभव से भाजपा को उसी की शैली में जवाब दे रहे हैं। एक ओर जहां भाजपा के कट्टर हिन्दुत्व का जवाब राहुल के सॉफ्ट हिन्दुत्व से दिया जा रहा है, वहीं हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर को साधकर कांग्रेस जाति कार्ड भी बखूबी खेल रही है।
ऐसा माना जा रहा है कि राहुल मंदिर दौरों से काफी हद तक कांग्रेस की हिन्दू विरोधी छवि टूटी है। साथ ही गुजरात कांग्रेस के नेता भी अशोक गहलोत को पूरी ईमानदारी के साथ मदद कर रहे हैं। हालांकि यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि कांग्रेस राज्य में सरकार बना लेगी, लेकिन इतना तय है कि इस बार मुकाबला कांटे का दिख रहा है। चुनाव परिणाम के बाद इसका असर कांग्रेस के सीटों पर भी साफ दिखाई देगा।