गुजरात विधानसभा चुनाव में छाए रहेंगे ये 10 बड़े मुद्दे

शुक्रवार, 4 नवंबर 2022 (08:30 IST)
अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 का शंखनाद हो चुका है। यूं तो चुनाव में कई मुद्दे रहेंगे, लेकिन यहां हम 10 प्रमुख चुनावी मुद्दों की चर्चा कर रहे हैं, जो इस बार चुनाव में असर डालेंगे। आइए जानते हैं इस चुनाव में प्रमुख भूमिका निभाने वाले 10 प्रमुख मुद्दों के बारे में... 
 
1. नरेंद्र मोदी : भाजपा के पास प्रधानमंत्री के रूप में एक तुरुप का पत्ता है। साथ ही उनका ताल्लुक गुजरात से ही है, ऐसे में निश्चित तौर पर चुनाव पर वे असर डालेंगे। वह 2001 से 2014 तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। वह 8 साल पहले यह पद छोड़ चुके हैं, लेकिन उनके गृह राज्य में समर्थकों के बीच उनका जादू अब भी कायम है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी चुनाव परिणाम और वोटरों को आकर्षित करने में प्रधानमंत्री की भूमिका अहम होगी।
 
2. मोरबी पुल हादसा : चुनाव की घोषणा से ठीक पहले मोरबी में 30 अक्टूबर को केबल पुल गिरने से 136 लोगों की जान चली गई। इस घटना से प्रशासन और अमीर लोगों के बीच साठगांठ सामने आई है। मतदान के लिए जाते समय लोगों के दिमाग में यह मुद्दा रह सकता है। समाज के बड़े वर्ग में यह संदेश भी गया है कि सरकार कंपनी के मालिक को बचाने का प्रयास कर रही है। साथ ही उसे ठेका भी बिना टेंडर के ही दिया गया था। 
3. सत्ता-विरोधी लहर : भाजपा करीब 27 साल से गुजरात की सत्ता में है। ऐसे में ज्यादा तो नहीं लेकिन एंटी-इनकंबेंसी का थोड़ा असर जरूर दिखाई दे सकता है। समाज के कुछ वर्गों में समाज को लेकर जरूर असंतोष उपजा है। पिछले कुछ समय महंगाई काफी तेजी से बढ़ी है। रोजगार के मुद्दे पर भी केन्द्र और राज्य सरकार 'कठघरे' में हैं। 
 
4. किसानों का मुद्दा : राज्य के अनेक हिस्सों में किसान आंदोलन कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले दो साल में अत्यधिक बारिश के कारण फसलों के नुकसान का मुआवजा नहीं दिया गया है। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा को किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। 
 
5. बिल्कीस बानो मामला : बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड में दोषी ठहराए गए लोगों की सजा कम करने का असर बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग-अलग रहेगा। मुसलमान बिल्कीस बानो के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं हिंदू इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देना चाहेंगे। इस मुद्दे पर गुजरात सरकार की मीडिया में काफी आलोचना भी हुई थी। 
 
6. प्रश्नपत्र लीक और सरकारी भर्ती परीक्षाओं का स्थगित होना : बार-बार प्रश्नपत्र लीक होने की घटनाएं और सरकारी भर्ती परीक्षाओं के स्थगित किए जाने से सरकारी नौकरी पाने की आस में मेहनत कर रहे युवाओं की उम्मीदों पर पानी फिरा है और असंतोष बढ़ा है।
 
7. दूरदराज क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी : अगर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में कक्षाएं बनाई जाती हैं तो शिक्षक नहीं होते। अगर शिक्षकों की भर्ती की जाती है तो पढ़ाई के लिए कक्षाएं नहीं होतीं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सकों की कमी भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित करती है। आम आदमी पार्टी राज्य में अच्छे स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं का आश्वासन दे चुकी है। 
8. खराब सड़कें : गुजरात को पहले इसकी बेहतर सड़कों के लिए जाना जाता था। हालांकि पिछले पांच-छह साल में राज्य सरकार और नगर निगमों ने नई सड़कों का निर्माण नहीं किया है और वे पुरानी सड़कों का रखरखाव नहीं कर सके हैं। पूरे राज्य से सड़कों पर गड्ढों की शिकायतें आना आम बात है।
 
9. बिजली के अधिक बिल : गुजरात देश में बिजली की सर्वाधिक दरों वाले राज्यों में शामिल है। लोग आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के 300 यूनिट बिजली प्रति महीने मुफ्त देने के वादों की ओर देख रहे हैं। सदर्न गुजरात चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने हाल में वाणिज्यिक विद्युत दरों को कम करने की मांग की थी।
 
10. भूमि अधिग्रहण : अनेक सरकारी परियोजनाओं के लिए जिन किसानों और भूस्वामियों की जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, उनमें असंतोष है। किसानों ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच हाईस्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था। उन्होंने वड़ोदरा और मुंबई के बीच एक्सप्रेसवे परियोजना के लिहाज से भूमि अधिग्रहण का भी विरोध किया।
Edited By: Vrijendra Singh Jhala

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