गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का एलान कर दिया है। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा चुनाव में दो चरण में वोटिंग होगी। गुजरात में पहले चऱण की वोटिंग एक दिसंबर को और दूसरे चरण की वोटिंग पांच दिसंबर को होगी। वहीं गुजरात विधानसभा के चुनाव की मतगणना हिमाचल प्रदेश के साथ 8 दिसंबर को होगी।
चुनाव आयोग की ओर से तारीखों के एलान के साथ गुजरात में चुनावी शंखनाद हो गया है। तारीखों के एलान के साथ सियासी दलों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चुनाव की तारीखों का एलान का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के फिर से डबल इंजन की सरकार बनाएगी। वहीं आम आदमी पार्टी की ओर से अरविंद केजरीवाल ने जीत का दावा करते हुए कहा कि गुजरात की जनता इस बार बड़े बदलाव के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में 2022 का विधानसभा चुनाव पांच साल पहले हुए 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार बहुत अलग है। 182 सदस्यीय वाली गुजरात विधानसभा में पहली बार चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा और कांग्रेस के साथ इस बार आम आदमी पार्टी अपनी पूरी ताकत के साथ गुजरात के चुनावी मैदान में डटी है।
गुजरात की राजनीति को बीते कई दशक से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सुधीर एस. रावल कहते हैं कि इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला है। गुजरात में आम आदमी पार्टी ने भाजपा की तर्ज पर बहुत ही होशियारी से एक माहौल बनाने का काम किया है। हलांकि गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को भाजपा या कांग्रेस किसको कितना डैमेज करेगी यह उम्मीदवारों के एलान के बाद ही साफ होगा। आम आदमी पार्टी कुछ स्थानों पर कांग्रेस को डैमेज करेगी जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा लेकिन आम आदमी पार्टी जहां भाजपा को डैमेज करेगी उसका लाभ कांग्रेस को नहीं मिलेगा इसके एक नहीं कई कारण है।
गुजरात में दो दशक से अधिक समय से सत्ता में काबिज भाजपा के सामने इस बार एक नहीं कई चुनौतियां है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत से मात्र सात सीटें अधिक मिली थी और पार्टी 182 सदस्यों वाली विधानसभा में 99 सीटों पर सिमट गई थी। ऐसे में भाजपा के सामने इस बार चुनौतियां कहीं बड़ी है।
राजनीतिक विश्लेषक सुधीर एस. रावल कहते हैं कि गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा भले ही फ्रंट रनर दिख रही है लेकिन धरातल पर भाजपा के लिए परिस्थितियां बहुत गंभीर है। भाजपा को सबसे बड़ा खतरा आम आदमी पार्टी और कांग्रेस से नहीं बल्कि उसकी अंदरूनी कलह गुटबाजी और तगड़ी एंटी इंकम्बेंसी से है।
गुजरात में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जिस तरह रातों रात विजय रूपाणी की पूरी सरकार को बदल दिया उससे गुजरात भाजपा के वो सीनियर लीडर जिन्होंने गुजरात में भाजपा को खड़ा करने का काम किया था वह बेहद नाराज है, लेकिन वह चुप है इसके एक नहीं कई कारण है। ऐसे में अब चुनाव की तारीखों के एलान के बाद वह खुलकर सामने आ सकते है और टिकट बंटवारे के बाद पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी और बढ़ेगी।
इसके साथ चुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़ा खतरा एंटी इंकम्बेंसी से है। भाजपा शासनकाल में पिछले दो दशकों में गुजरात में जिस तरह ब्यूरोक्रेट हावी हुए है उससे मुख्यमंत्री और सरकार एक रबर स्टैंप की तरह है,चुनाव में भाजपा के लिए यह एक चुनौती है।
गुजरात की राजनीति को कई दशकों से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार सुधीर एस. रावल कहते हैं कि गुजरात के वर्तमान सियासी हालात को देखकर यह कहना बहुत मुश्किल है कि कौन सी पार्टी स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाएगी। पहली बार हो सकता है कि गुजरात में किसी पार्टी को अकेले दम पर बहुमत नहीं मिले।
इसका कारण बताते हुए सुधीर एस रावल कहते हैं कि दो दशक में पहली बार हो रहा है कि लोगों का विश्वास भाजपा से टूट गया है। वहीं दूसरी अन्य पार्टियों पर लोगों का विश्वास बन नहीं पा रहा है, ऐसे में जनता दुविधा है कि वह वोट किसको करें। दो दशक के बाद भाजपा को चुनाव में विश्वसनीयता के संकट से जूझना पड़ रहा है, इसका कारण राज्य में लीडरशिप का संकट है।
गुजरात चुनाव में महंगाई औऱ बेरोजगारी जैस भी मुद्दें भी है लेकिन अभी गुजरात का चुनाव विकास के मुद्दें पर हो रहा है और आगे चलकर इसमें सहानुभूति का कार्ड भी आ सकता हो सभी चुनावी अनुमानों को धराशायी कर सकता है।
गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को लेकर सबसे कम चर्चा हो रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में को 80 सीटें जीतने वाली कांग्रेस मीडिया की खबरों से एकदम दूर है। गुजरात में कांग्रेस की स्थिति को लेकर सुधीर एस. रावल कहते हैं कि कांग्रेस भले ही अभी मीडिया में नहीं दिख रही हो लेकिन लो प्रोफाइल रहकर ग्राउंड पर बहुत ही एक्टिव है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती लीडरशिप की विश्वसीनयता को लेकर है। गुजरात का वोटर कांग्रेस की लीडरशिप को लेकर दुविधा में है और यहीं बड़ी चुनौती है।