हरिद्वार। हरिद्वार महाकुंभ में बुधवार को बैसाखी और मेष संक्रांति के पर्व पर तीसरे और मुख्य शाही स्नान में 13—14 लाख श्रद्धालु ही मोक्षदायिनी गंगा में पवित्र डुबकी लगाने पहुंचे। महाकुंभ में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का बढ़ता खौफ भी आस्था पर हावी होता नजर आया। ताजा आंकड़ों के मुताबिक शाही स्नान पर्व पर 13-14 लाख लोगों ने गंगा में स्नान किया। मेष संक्रांति के स्नान पर विगत के कुंभ मेलों में घटित कुछ अप्रिय घटनाओं के इतिहास एवं कोविड की अभूतपूर्व चुनौतियों को देखते हुए शाही स्नान को सुव्यवस्थित व निर्विघ्न संपन्न कराना एक बड़ी चुनौती माना जा रहा था। इन चुनौतियों के बीच मुख्य शाही स्नान बिना किसी अप्रिय घटना के सफलतापूर्वक संपन्न हो गया। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कुम्भ मेले के मुख्य शाही स्नान के सकुशल संपन्न होने पर मेले से जुडे़ अधिकारियों, कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों, स्वयंसेवी संस्थाओं सहित सभी जनमानस को बधाई देते हुए हार्दिक आभार व्यक्त किया है।
सबसे पहले शाही स्नान करने पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के साथ आनंद अखाड़े के संत भी पहुंचे। मेलाधिकारी दीपक रावत और एसएसपी कुम्भ जन्मजेय खंडूरी ने हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पहुंचने पर संतो का माल्यार्पण कर स्वागत किया।
जहां अखाडों से जुडे साधु-संतों ने पूर्ण श्रद्धा के साथ मुख्य स्नान घाट हर की पैड़ी पर अपने इष्ट देवों और अनुयायियों के साथ गंगा में स्नान किया तो वहीं हरिद्वार और ऋषिकेश के विभिन्न गंगा घाटों पर आम श्रद्धालुओं ने नदी में डुबकी लगाई। महाकुंभ मेले की व्यवस्था की स्वयं निगरानी करने वाले प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि शाही स्नान पर्व निर्विघ्न संपन्न हो गया।
महाकुंभ मेले में बुधवार को पहुंचे स्नानार्थियों की यह संख्या सोमवार को सोमवती अमावस्या के पर्व पर आए 25—30 लाख श्रद्धालुओं की संख्या की लगभग आधी और वर्ष 2010 में महाकुंभ में बैसाखी के पर्व पर आए एक करोड़ 60 लाख श्रद्धालुओं के मुकाबले लगभग चौदहवां हिस्सा ही है जो कोविड-19 के बढ़ते डर की तस्वीर पेश करता है। पुलिस महानिदेशक कुमार ने भी माना कि कोविड के डर का असर महाकुंभ मेले पर पड़ा है जिसकी तस्दीक आंकड़े खुद बयां कर रहे हैं। हालांकि, सभी 13 अखाड़ों के साधु संतों ने पूरी श्रद्धा के साथ गंगा में डुबकी लगाई।
सबसे पहले पंचायती अखाड़ा निरंजनी के साधु संत अपने पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि के नेतृत्व में हर की पैडी ब्रहमकुंड पहुंचे जहां उन्होंने अपने इष्टदेव की पूजा अर्चना करने के बाद हर—हर महादेव और गंगा मैया की जय के उदघोष के साथ शाही स्नान किया। उनके साथ आनंद अखाड़े के संतों ने भी शाही स्नान किया।
उसके बाद सबसे ज्यादा नागा संन्यासियों वाले जूना अखाड़ा, अग्नि और आवाहन अखाड़े के संतों ने हर हर महादेव का जयघोष करते हुए पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज की अगुवाई में शाही स्नान किया। इनके साथ ही किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी और अन्य संतों ने भी स्नान किया।
इसके बाद महानिर्वाणी और अटल अखाड़े के संतजनों ने हर की पैडी ब्रहमकुंड में शाही स्नान किया। इसके बाद शाही स्नान के लिए तीनों बैरागी अखाडे़ पंच निर्वाणी अणि अखाड़ा, पंच दिगम्बर अणि अखाड़ा और पंच निर्मोही अणि अखाड़े के संत हर की पैडी ब्रहमकुंड में पहुंचे।
पंचायती बड़ा अखाड़ा उदासीन निर्वाण और इसके बाद श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा निर्वाण के साधु संतों ने स्नान किया। सबसे आखिर में निर्मल अखाड़ा के साधु संतों ने जयघोष करते हुए शाही स्नान किया। इस दौरान पूरा क्षेत्र साधु संतों के रंग में डूबा नजर आया।
हरकी पैड़ी पर दिनभर कभी 'हर-हर महादेव', कभी 'गंगा मैया की जय' तो कभी 'जय श्रीराम' की गूंज सुनाई देती रही। शाही स्नान के लिए जाते साधु संतों पर उत्तराखंड सरकार की ओर से हेलीकॉप्टर से लगातार पुष्पवर्षा की जाती रही जिससे वातावरण काफी मनोहारी और दिव्य बन गया। इससे पहले, सुबह सात बजे मेला प्रशासन ने मुख्य स्नान घाट हर की पैडी ब्रहमकुंड को पूरा खाली करा लिया जिससे पूरे दिन यहां सभी अखाडों के साधु संत शाही स्नान कर सकें।
साधुसंतों के स्नान का क्रम समाप्त होते ही कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत, कुंभ पुलिस महानिरीक्षक संजय गुंज्याल, कुंभ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जन्मजेय खंडूरी सहित अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने गंगा में डुबकी लगाई।
इसके अलावा हर की पैड़ी के पास मालवीय घाट भी शाही स्नान के लिए आरक्षित रहा। सुरक्षा की दृष्टि से 20 हज़ार से भी अधिक पुलिस बलों के जवान और बम निरोधक दस्ते मेला क्षेत्र में तैनात किए गए थे। महाकुंभ शाही स्नान के दौरान आने जाने वाले लोगों को पुलिस के जवान मास्क बांटते और सावधानी बरतने की सलाह देते नजर आए। हर की पैड़ी तथा अन्य घाटों पर महाकुंभ मेला प्रशासन ने सैनिटाइजर की मशीनें लगाई थीं।
कोविड-19 के कारण एक माह की अवधि के लिए सीमित कर दिए गए महाकुंभ का यह तीसरा शाही स्नान था। इससे पहले 1 मार्च को महाशिवरात्रि के मौके पर महाकुंभ का पहला तथा 12 अप्रैल को दूसरा शाही स्नान पड़ा था। उधर, बुधवार को अखाड़ों के शाही स्नान के बाद मेला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी हरकी पैड़ी ब्रहमकुंड में गंगा स्नान किया।
इस बीच प्रदेश में भी देश के अन्य हिस्सों की तरह कोरोना वायरस संक्रमण बढता जा रहा है। बुधवार को भी प्रदेश में कोविड-19 के 1953 मामले सामने आए जिनमें से 525 हरिद्वार में ही दर्ज हुए हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि सहित डेढ़ दर्जन से अधिक संतों के कोरोना संक्रमित होने के बाद अन्य साधु-संतों की भी कोविड जांच की जा रही है।
हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी शम्भू कुमार झा ने बताया कि मंगलवार तक पांच अखाड़ों में 500 साधुओं की कोरोना जांच की गई जिनमें से 19 संत महामारी से संक्रमित मिले हैं। उन्होंने बताया कि अधिकांश संतों की जांच और टीकाकरण का कार्य बुधवार के बाद तेजी से किया जाएगा।