उत्तररांचल प्रदेश में हरिद्वार अर्थात हरि का द्वार है। हरि याने भगवान विष्णु। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है, जो गंगा के तट पर स्थित है। इसे गंगा द्वार और पुराणों में इसे मायापुरी क्षेत्र कहा जाता है। यह भारतवर्ष के सात पवित्र स्थानों में से एक है। हरिद्वार में हर की पौड़ी के घाट पर कुंभ का मेला लगता है। आओ जानते हैं हरिद्वार के हर की पौड़ी के बारे में संक्षिप्त जानकारी।
3. किवदन्ती है कि हर की पौड़ी में स्नान करने से जन्म जन्म के पाप धुल जाते हैं।
4. हर की पौड़ी का अर्थ है हरि की पौड़ी। यहा एक पत्थर में श्रीहरि के पदचिह्न मौजूद है। इसीलिए इसे हरि की पौड़ी कहा जाता है।
6. हर की पौड़ी ही वह स्थान है जहां पर अमृत कलश से अमृत छलक कर गिर पड़ा था।
7. यह भी कहा जाता है कि यह वही स्थान जहां पर वैदिक काल में श्रीहरि विष्णु और शिवजी प्रकट हुए थे।
8. यहां पर ब्रह्माजी ने एक प्रसिद्ध यज्ञ किया था।
9. यहीं पर हर शाम प्रसिद्ध गंगा आरती होती है जिसे देखने के लिए देश विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। उस समय यहां पर अनोखा नजारा होता है।