kangana ranaut : हरियाणा चुनाव से पहले कृषि कानून पर भाजपा सांसद कंगना रनौत के विवादित बयान से जहां कांग्रेस हमलावर है, वहीं भाजपा बैकफुट पर नजर आ रही है। इस बयान के बाद से सवाल उठ रहा है कि क्या भाजपा फिर कृषि कानूनों की वापसी चाहती है। हालांकि भाजपा ने इसे कंगना का निजी विचार बताया। अब खुद कंगना ने इस मामले में सफाई दी है।
कंगना ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर मेरे विचार निजी है, यह इस पर पार्टी के स्टैंड का प्रतिनिधित्व नहीं करते। इस पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कंगना के निजी विचार बहुत हैं। उनमें बचपना बहुत है और उनके बयान से भारतीय जनता पार्टी को नुकसान होगा।
कंगना के बयान पर क्यों मचा बवाल : कंगना ने कहा कि जो कृषि कानून निरस्त किए गए हैं उन्हें किसानों के हित में वापस लाया जाना चाहिए। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि तीनों कानून किसानों के लिए फायदेमंद थे लेकिन कुछ राज्यों में किसान समूहों के विरोध के कारण सरकार ने उन्हें वापस ले लिया। किसान देश के विकास का एक स्तंभ हैं। मैं उनसे अपील करना चाहती हूं कि वे अपने भले के लिए कानूनों को वापस लाने की मांग करें।
कांग्रेस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर रनौत का एक बिना तारीख वाला वीडियो साझा किया, जिसमें वह कथित तौर पर हिंदी में कह रही हैं, 'जो कृषि कानून निरस्त किए गए हैं उन्हें वापस लाया जाना चाहिए। मुझे लगता है कि यह विवादास्पद हो सकता है। किसानों के हित में कानून वापस लाए जाएं। किसानों को खुद इसकी मांग करनी चाहिए, ताकि उनकी समृद्धि में कोई रुकावट नहीं रहे।'
गौरतलब है कि तीन कानून - कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम; कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम; तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम - को नवंबर 2021 में निरस्त कर दिया गया। ये कानून जून 2020 में लागू हुए थे। किसानों का विरोध नवंबर 2020 के अंत में शुरू हुआ था और संसद द्वारा तीनों कानूनों को निरस्त करने के बाद समाप्त हुआ।