आइए जानें क्या, कब और कैसे खाएं

हम सभी जीवन में रोटी कपड़ा और मकान के लिए मेहनत करते हैं। लेकिन हम में से कई लोग मेहनत के दौरान कपड़े और मकान पर तो ध्यान देते हैं जबकि रोटी यानी खाने पर उतना ध्यान नहीं देते। यही वजह है कि आजकल हर दिन कोई नई बीमारी युवाओं को अपना शिकार बना रही है। हमारी परंपरा में भोजन के कुछ सामान्य नियम है, आइए उन्हें जानते हैं-

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प्रातः बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।

भोजन को धीरे-धीरे चबाकर खाना चाहिए।

भोजन को कभी भी ठूंस-ठूंसकर नहीं खाना चाहिए। इससे कई रोग हो सकते हैं।


भोजन तीन-चौथाई पेट ही करना चाहिए। भूख लगने पर पानी और प्यास लगने पर भोजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा स्वास्थ्य को हानि पहुंचती है। जैसे खाने की आवश्यकता महसूस होने पर उसे पानी पीकर समाप्त करने की कोशिश या प्यास लगने पर कुछ भी खाकर प्यास को टाल देना गलत है।

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भोजन के बीच में प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा करके पानी पीना चाहिए। भोजन के तुरंत पहले या अंत में तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए।

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हजार काम छोड़कर नियमित समय पर भोजन करें।

बासी, ठंडा, कच्चा अथवा जला हुआ और दोबारा गर्म किया हुआ भोजन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी नहीं होता।

खाने के साथ सलाद और अंत में फल जरूर खाएं।

भोजन पच जाने पर ही दूसरी बार भोजन करना चाहिए।

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प्रातः भोजन के बाद शाम को यदि अजीर्ण मालूम हो तो कुछ नर्म भोजन लिया जा सकता है। परंतु रात्रि को भोजन के बाद प्रातः अजीर्ण हो तो बिल्कुल भोजन नहीं करना चाहिए।

भोजन के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए।

समाप्

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