नहाना जरूरी है अच्छी सेहत के लिए

विजय कुमार सिंघल 

लोग स्नान को भी एक फालतू कर्मकांड की तरह निबटाते हैं, जबकि इसे स्वास्थ्य प्राप्ति और उसके रखरखाव के एक अनिवार्य अंग की तरह किया जाना चाहिए। सबसे पहली बात तो यह है कि नहाने के लिए जो जल हो वह शरीर के तापमान से थोड़ा ठंडा होना चाहिए। 


 
किसी भी मौसम में अधिक गर्म और अधिक ठंडे जल से स्नान करना हानिकारक है।
 
सर्दी के मौसम में पानी बहुत ठंडा होता है। उसमें उतना ही गर्म पानी मिलाना चाहिए कि पानी का तापमान शरीर के लगभग बराबर हो जाय अर्थात्‌ हाथ डुबोने पर ठंडा न लगे।
 
दूसरी बात यह है कि नहाने के साबुन का उपयोग करना बहुत हानिकारक है।

साबुन केमिकल्स से बने होते हैं जो हमारे रोमछिद्रों में घुसकर रक्त और त्वचा को प्रदूषित करते हैं।

इसलिए साबुन के स्थान पर हमें रूमाल के आकार के खुरदरे तौलिए को पानी में डुबो-डुबोकर उससे शरीर के सभी अंगों को रगड़ना चाहिए।

इससे रोमकूप खुल जाएंगे, पसीने के द्वारा गंदगी भी निकलेगी और रगड़ने से मालिश का लाभ भी मिलेगा।
 
नहाते समय गले के अन्दर अंगूठा या अंगुली से हमें अपने काग और तालू की मालिश करनी चाहिए।

इससे जमा हुआ कफ निकलेगा और आंखों की रोशनी भी बढ़ेगी।

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