एक मामूली ब्लड टेस्ट की मदद से डॉक्टरों को पता चल सकता है कि क्या स्तन कैंसर की शुरुआती अवस्था वाले मरीज की मौत का खतरा अत्यधिक है या इलाज के बाद यह बीमारी दोबारा हो सकती है।
‘द लैन्सेट ओन्कोलॉजी’ जर्नल में एक अध्ययन के हवाले से कहा गया है कि जब बीमारी की शुरुआती अवस्था में रक्त का नमूना लिया जाए तो ट्यूमर कोशिकाएं बिल्कुल स्पष्ट बता देती हैं कि मरीज की जीवित रहने की संभावना कितनी है।
यह जानकारी मिलने के बाद डॉक्टर के लिए यह पता करना आसान हो सकता है कि मरीज को कीमोथेरेपी जैसे अतिरिक्त इलाज से फायदा होगा और कितना फायदा होगा अथवा नहीं होगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ टैक्सास के एमडी एंडर्सन कैंसर सेंटर के अनुसंधानकर्ताओं ने कहा ‘रक्त में एक या अधिक ‘सकरुलेटिंग
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कैंसर सेल्स’ (सीटीसी’एस) की मौजूदगी बता सकती है कि क्या बीमारी की जल्द ही पुनरावृत्ति होगी और बचने की उम्मीद कितनी कम है।’ उन्होंने कहा कि अधिक संख्या में सीटीसी’एस मिलने का मतलब मौत का खतरा अधिक होता है।
फिलहाल सीटीसी’एस ब्लड टेस्ट का उपयोग मरीज के इलाज या उसकी स्थिति का पता लगाने के लिए नहीं होता क्योंकि आम तौर पर अब तक माना जाता रहा है कि कैंसर के ट्यूमर रक्त प्रवाह से नहीं बल्कि लिम्फैटिक सिस्टम के जरिए फैलते हैं। अध्ययन दल ने यह परीक्षण उन 302 मरीजों पर किया जिनका इस सेंटर में फरवरी 2005 से दिसंबर 2010 तक इलाज चला था।
इन मरीजों में स्तन कैंसर की शुरुआत हो चुकी थी लेकिन यह शरीर के अन्य भागों में नहीं फैल पाया था। इन मरीजों की कीमोथेरेपी नहीं हुई थी।
अध्ययन दल ने एक चौथाई लोगों में सीटीसी’एस पाया। इनमें से जिन मरीजों के रक्त में ट्यूमर कोशिकाएं थीं, उनमें, सात में से एक मरीज को इलाज के बाद फिर से यह बीमारी हुई। दस में से एक मरीज की परीक्षण अवधि में मौत हो गई।
इसके उलट, जिन मरीजों के ब्लड टेस्ट में कोई सीटीसी’एस नहीं पाई गईं, उनमें बीमारी के दोबारा होने की दर केवल तीन फीसदी और मृत्यु दर केवल दो फीसदी रही। (भाषा)