वैज्ञानिकों की नजर मरीजों पर और कोरोना वायरस के प्रभाव पर लगी हुई है। ऐसे में ऐसा देखा गया है कि पिछले 4 महीनों में जो मरीज कोरोना से ठीक हुए हैं, उनके रक्त में कोरोना की एंटीबॉडी बन जाती है और ये एंटीबॉडी व्यक्ति को दोबारा इंफेक्शन से भी बचाती है। यदि हम उस मरीज के रक्त से प्लाज्मा अलग करके जिसमें एंटीबॉडी होती है, उस मरीज के शरीर में डालें, जो संक्रमित है तो उसके लिए प्रभावकारी साबित हो सकते हैं।