इस तरह से बकरी का दूध डेंगू से बचने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है। हरे पौधों और पत्तियों को आहार के रूप में ग्रहण करने के कारण इसके दूध में भी औषधीय गुण होते हैं, और यह कई तरह की बीमारियों को दूर करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि जो व्यक्ति नियमित तौर पर बकरी का दूध पीता है, उसे बुखार जैसी समस्याएं नहीं होती।
बकरी के दूध में विटामिन और मिनरल्स भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो बीमारियों से लड़ने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करते हैं। विटामिन बी6, बी12, विटामिन डी, फोलिक एसिड और प्रोटीन से भरपूर बकरी का दूध शरीर को पुष्ट कर, प्रतिरक्षी तंत्र को मजबूत करता है, जिससे बीमारियों की संभावना नहीं के बराबर हो जाती है।
एक अन्य शोध के अनुसार किसी बच्चे को बकरी का दूध पिलाने पर उसकी रोधप्रतिरोधक क्षमता में इस कदर इजाफा होता है, कि उसके बीमार होने की संभावना नहीं के बराबर होती है। हालांकि 1 साल से छोटे बच्चों को बकरी का दूध नहीं पिलाना चाहिए, क्योंकि इससे उन्हें एलर्जी का खतरा होता है।
बकरी के दूध में पाया जाने वाला प्रोटीन, गाय या भैंस के दूध में मौजूद प्रोटीन की तुलना में बेहद हल्का होता है। जहां गाय के दूध का पाचन लगभग 8 घंटे में होता है, वहीं बकरी का दूध पचने में महज 20 मिनट का समय लेता है।
बकरी का दूध अपच की समस्या को दूर कर शरीर में उर्जा का संचार करता है। इसके अलावा इसमें मौजूद क्षारीय भस्म आंत्र तंत्र में अम्ल का निर्माण नहीं करता जिससे थकान, मसल्स में खिंचाव, सिर दर्द आदि की समस्या नहीं होती।