शरद पूर्णिमा के दिन का बहुत महत्व है। इस दिन को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह दिवस स्वास्थ्य, धन संपदा, शुभ कार्य, धार्मिक भावना सहित अन्य रूप से शुभ दिवस होता है। कहा जाता है आश्विन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन अमृत वर्षा होती है। इस दिन चंद्रमा हल्के नीले रंग का दिखाई देता है। इस दिन रात को खीर बनाकर चंद्रमा को खीर में देखा जाता है। और फिर उसका सुबह में सेवन किया जाता है। इसका सेवन करने से कई प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है या उसका असर कम होता है। आइए जानते हैं शरद पूनम के दिन चांद की रोशनी में रखी गई खीर खाने से सेहत को किस प्रकार से लाभ मिलता है -
1.दमा रोगियों के लिए वरदान - दमा रोग से पीड़ित मरीजों को शरद पूनम की खीर का सेवन जरूर करना चाहिए। इस खीर को चांद की रोशनी में रखकर सुबह 4 बजे इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है। सालभर में शरद पूनम का दिन दमा रोगियों के लिए अमृत के समान माना जाता है।
2.आंखों की रोशनी बढ़ाए - जी हा, शरद पूनम के दिन खीर का सेवन तो किया जाता है। साथ ही चांद की रोशनी में 100 बार सुई में धागा पिरोने की परंपरा भी है। कहा जाता है ऐसा करने से आंखों की रोशनी तेज होती है। इस दिन खीर का सेवन करने से आंखों से संबंधित परेशानी दूर होती है। चंद्रमा को एकटक देखने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है।
3.स्किन समस्या करें दूर - शरद पूनम की रात को चंद्रमा घुली हुई खीर खाने से चर्म रोग में आराम मिलता है। स्किन समस्या से जूझ रहे हैं तो इस दूध का सेवन करें। स्किन केयर के साथ त्वचा का ग्लो भी बढ़ जाता है।
4. दिल का रखें ख्याल - हृदय रोगियों के लिए भी यह खीर का सेवन करना फायदेमंद होता है। इस दिन खासकर चांदी के बर्तन में खीर या दूध रखना चाहिए। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और विषाणु भी दूर होते हैं। साथ ही उक्त रक्तचाप में भी आराम मिलता है।
5. मलेरिया - इन दिनों मौसम ठंडा-गरम होने पर मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, जिससे मलेरिया का खतरा होता है। हालांकि बैक्टीरिया उपयुक्त वातावरण में पनपते हैं। लेकिन बैक्टीरिया जब पित्त के संपर्क में आते हैं तो वह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है। पित्त को नियंत्रित करना जरूरी होता है जिससे मलेरिया की चपेट में आने से बच सकते हैं। इसलिए इस मौसम में खीर को खाने की परंपरा है।