बाम या आयोडेक्स से नशा जैसा क्यों होता है? जानिए इसके पीछे की साइंटिफिक सच्चाई

WD Feature Desk

शुक्रवार, 18 जुलाई 2025 (18:17 IST)
intoxication from Iodex: बचपन से लेकर अब तक आपने सिरदर्द, पीठदर्द या मांसपेशियों की जकड़न में बाम (Balms) या आयोडेक्स का इस्तेमाल जरूर किया होगा। जैसे ही आप बाम लगाते हैं, शरीर को गर्मी सी महसूस होती है, दर्द में राहत मिलती है और दिमाग भी हल्का-हल्का रिलैक्स सा होने लगता है। लेकिन क्या आपने कभी गौर किया है कि कुछ लोग इसे बार-बार सूंघते रहते हैं और कहते हैं, "इसकी खुशबू में नशा जैसा फील आता है?"
 
क्या वाकई बाम या आयोडेक्स नशे जैसा असर करता है या यह सिर्फ एक भ्रम है? इस लेख में हम इसी रोचक विषय को साइंटिफिक नजरिए से विस्तार में समझेंगे।
 
बाम में होते हैं कौन-कौन से कंपाउंड जो असर डालते हैं दिमाग पर?
बाम या आयोडेक्स जैसे पेन रिलीफ प्रोडक्ट्स में आमतौर पर मेन्थॉल, कपूर (camphor), यूकेलिप्टस ऑयल, सैलिसिलेट्स और क्लोरोफॉर्म जैसे तत्व होते हैं। इनमें से कुछ तत्वों की गंध काफी तेज होती है और ये सीधे नाक के माध्यम से नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए:
 
मेंथॉल (Menthol): इसकी ठंडी-गर्म सेंसिंग प्रॉपर्टी मस्तिष्क को शांत करने वाले सिग्नल भेजती है, जिससे रिलैक्सेशन महसूस होता है।
 
कपूर (Camphor): ये कंपाउंड सूंघने पर मस्तिष्क को उत्तेजित कर सकता है और कभी-कभी हल्का सा "यूफोरिया" या ताजगी जैसी भावना देता है।
 
क्लोरोफॉर्म व सॉल्वेंट्स: कुछ पुराने बाम्स में ये तत्व होते हैं जो अधिक मात्रा में सूंघे जाने पर हल्का "हाई" महसूस करा सकते हैं।
 
यही वजह है कि कुछ लोग इनका बार-बार इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि ये मस्तिष्क को एक पल के लिए आराम और हल्कापन महसूस कराते हैं।
 
नशा नहीं, पर आदत जरूर बन सकती है: हालांकि बाम या आयोडेक्स कोई नशे की दवा नहीं है, लेकिन इसका अधिक इस्तेमाल मनोवैज्ञानिक स्तर पर "डिपेंडेंसी" पैदा कर सकता है। लगातार खुशबू सूंघने से यह आदत बन सकती है और व्यक्ति को इसका बार-बार इस्तेमाल करने की तलब लग सकती है। इसके कुछ संभावित साइड इफेक्ट्स ये हो सकते हैं:
इसलिए, भले ही बाम से ताजगी महसूस होती हो, लेकिन इसे सीमित मात्रा में और जरूरत के अनुसार ही इस्तेमाल करें।
 
फील गुड हार्मोन्स और बाम, क्या है रिलेशन?
कुछ रिसर्च में यह पाया गया है कि जब व्यक्ति को किसी दर्द से तुरंत राहत मिलती है या सेंस ऑफ कूलिंग महसूस होती है, तो शरीर "फील गुड हार्मोन्स" यानी एंडोर्फिन और डोपामिन रिलीज करता है। यह छोटे समय के लिए "अच्छा महसूस" कराने वाला प्रभाव पैदा करता है। यही वो पल होता है जब कुछ लोगों को लगता है कि उन्हें बाम से ‘नशा’ जैसा अनुभव हो रहा है। हालांकि ये नशा नहीं होता, बल्कि दिमाग का एक छोटा रेस्पॉन्स होता है जो कुछ देर में सामान्य हो जाता है।
 
बाम सूंघने को आदत ना बनाएं 

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