पेट में कीड़े होना - कृमि, व्हिपवर्म, गिर्डिएसिस, टेपवर्म्स आदि पेट में पैदा होने वाले कीड़ों के कारण आंतों में संक्रमण का खतरा होता है। ये आंतों में अंडे भी देते हैं ।
1 सृत्र कृमि - ये कभी-कभी पेशाब की नली या योनि के पास भी पहुंच जाते हैं और वहां खुजली और जलन पैदा करते हैं। आंतों में संक्रमण के अलावा इससे खून की भारी कमी हो सकती है, जिससे शरीर और चेहरा पीला पड़ जाता है। भूख नहीं लगना ओर कमजोरी होना भी इसमें शामिल है।
2 फीता कृमि - फीता कृमि की लम्बाई 31 से 62 मिमी, तक होती है। यह आकार में लंबा व चपटा, गांठदार और सफेद होता है। फीता कृमि के अलग-अलग प्रकार, अलग-अलग प्रकार से रोगी को प्रभावित करते हैं।
3 गोल कृमि - ये आंतों में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले आंत कृमि हैं। केंचुए की तरह दिखने वाले इन कृमियों की लंबाई 4-12 इंच और होती है। इनका रंग कुछ मटमैला या पीला होता है। ये खास तौर से छोटी आंतों में मौजूद होते हैं लेकिन कभी-कभी आमाशय, प्लीहा और फेफड़े तक भी ये चले जाते हैं।
3 नींद में रोगी के मुंह से लार बहती है और बच्चे दांत पीसने लगते हैं।
4 रोगी के नाक-मुंह में खुजली होती है। कभी-कभी शरीर पर पित्ती भी उछल जाती है।