विटामिन-सी की मात्रा शरीर में अधिक हो जाने से संग्रहीत नहीं होती, बल्कि उत्सर्जित हो जाती है। शुद्ध विटामिन-सी का रंग सफेद होता है। इसके रवेदार कण हवा, ताप और धातुओं के संपर्क में आने पर नष्ट नहीं होते। तरल रूप में यह जल्दी नष्ट हो जाता है।
प्रायः सभी खट्टे फल विटामिन-सी से युक्त होते हैं। विटामिन-सी नीबू, संतरा, मौसंबी, टमाटर, आंंवला और अनन्नास में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। आंंवले में यह बहुत अधिक मात्रा में पाया जाता है, एक आंंवले से दो-तीन संतरे के बराबर विटामिन-सी की मात्रा प्राप्त होती है। प्रत्येक 100 ग्राम आंंवले में 600 मि.ग्रा. एस्कॉर्बिक एसिड पाया जाता है।
इसके अभाव में शरीर का उचित विकास नहीं होता, दांंत, मसूढ़े और हड्डियांं कमजोर हो जाती हैं। दांंतों में छेद हो जाते हैं। शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति में कमी आती है। कमजोरी और बेचैनी महसूस होती है।
विटामिन-सी हमारे शरीर के कैल्शियम को पचाने का काम भी करता है। जापान में किए गए शोध के अनुसार विटामिन-सी का 'खट्टेपन' वाला गुण कैल्शियम को सोखने में शरीर के लिए काफी मददगार होता है, इसलिए कैल्शियम के सप्लीमेंट को संतरे के जूस के साथ लें।