Eco Anxiety क्या है? बढ़ते प्रदूषण से 18 से 25 वर्ष तक आयु वर्ग अवसाद की चपेट में

दुनियाभर में प्रदूषण भी बीमारी का बड़ा कारण बन गया है। इससे दिल की बीमारी, फेफड़ों प्रभावित होना, स्ट्रोक का खतरा, साइनस, सांस लेने में तकलीफ होना, आंखों में जलन, टीबी,खांसी, गले में इन्फेक्शन होना, अस्थमा जैसी बीमारियां वायु प्रदूषण से हो सकती है। इससे बचाव का सबसे अच्छा तरीका है चेहरे को हमेशा कवर करके निकले। साथ ही आंखों पर भी चश्मा लगाकर निकलें।

वहीं अब बढ़ता प्रदूषण मानसिक स्तर पर भी प्रभाव डालने लगा है। इससे निजात पाने के लिए कई बड़े-बड़े देश क्लाइमेट चेंज को लेकर दावा पेश कर रहे हैं लेकिन परिणाम स्वरूप नजर नहीं आ रहे हैं। बढ़ता प्रदूषण इको एंग्जाइटी का कारण बन गया है।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में मारा रू और रिसर्च पॉवेल के मुताबिक 18 से 25 वर्ष तक के टीनऐजर इको एंग्जाइटी से जूझ रहे हैं। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ब्‍लॉक में प्रकाशित हुई रिपोर्ट में सामने आया कि ''जीवाश्म-ईंधन जलाने और वनों की कटाई से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन हमारे प्‍लेनेट को विनाश कर रहा है और अरबों लोगों को तत्काल जोखिम में डाल रहा है, और कई परिवर्तन अपरिवर्तनीय होते जा रहे हैं।”

- ईको एंग्जायटी से व्‍यक्ति इस कदर प्रभावित हो रहा है कि जलवायु परिवर्तन के नियंत्रण में अपनी व्यक्तिगत अक्षमता को लेकर कमजोर, असहाय महसूस करता है।

- साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल द्वारा एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई थी। जिसमें प्रकाशित किया गया था कि 2030 तक दुनिया में बढ़ रहे कार्बन उत्‍सर्जन में 45 फीसदी तक कमी पर जोर दिया था। साथ ही यह दावा किया गया था कि जल्द ही इस ओर कदम उठाना है। वरना सूखा, अकाल, प्रतिकूल, मौसम की दशा आदि समस्या बढ़ सकती है।

- मनोवैज्ञानिकों के अनुसार इको एंग्जायटी एक वक्‍त तक ठीक है क्‍योंकि वह पर्यावरण के प्रति सचेत करती है लेकिन अत्यधिक चिंता गंभीर समस्या का कारण बन सकती है।

- भारत की राजधानी दिल्‍ली दुनियाभर में टॉप वायु प्रदूषण की सूची में आता है।


ग्रेटा थनबर्ग पर्यावरण कार्यकर्ता जो पर्यावरण को बचाने के लिए लगातार अथक प्रयास कर रही है। अपने स्कूल से छुट्टी लेकर संसद के सामने तख्ती लेकर बैठ जाना तो कभी, अंतरराष्ट्रीय मंच से बड़ें -बड़ें नेताओं द्वारा किए गए वादों पर प्रहार करना। ग्रेटा 8 साल की उम्र से ग्‍लोबल वार्मिंग के खिलाफ अभियान चला रही है। ग्रेटा द्वारा किए गए लगातार प्रयास से 8 फीसदी हवाई यात्रा में कमी आई है। वह पर्यावरण संरक्षण के लिए आयोजित हर कार्यक्रम में नजर आती है।

हाल ही में यूथ फॉर क्लाइमेट के दौरान ग्रेटा थनबर्ग ने बड़े नेताओं को घेरा। ग्रेटा ने कहा कि क्लाइमेट चेंज पर सिर्फ बातें हो रही है, कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है। इस दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का मजाक उड़ाया। ग्रेटा थनबर्ग ने तीनों नेताओं के किसी न किसी बयान का जिक्र करते हुए ग्रीन इकोनॉमी ब्ला..ब्‍ला..ब्‍ला..या बिल्‍ड बैक बैटर..ब्‍ला..ब्‍ला...ब्ला...। नेता सिर्फ अपनी बातें करते हैं लेकिन उस पर एक्‍शन कोई नहीं लेता है।
 

“We can no longer let the people in power decide what hope is. Hope is not passive. Hope is not blah blah blah. Hope is telling the truth. Hope is taking action”
My speech at #Youth4Climate #PreCOP26 in Milan. pic.twitter.com/BA62GpST2O

— Greta Thunberg (@GretaThunberg) September 28, 2021

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्‍मेलन COP26  

संभवतः नवंबर 2021 में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP 26 में कई सारे दिग्गज नेता हिस्सा लेंगे। वहीं जलवायु परिवर्तन के लिए WHO की विशेष रिपोर्ट, 'द हेल्‍थ आर्गुमेंट फॉर क्लाइमेट एक्शन' पर जोर देने के लिए कहा है। इस पर दुनियाभर के 400 से अधिक स्वास्थ्य और चिकित्सा संगठनों द्वारा हस्ताक्षर किए गए है। जो सरकारों से जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ाने का आग्रह कर रहे हैं।

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी