कोरोना वायरस से निपटने के लिए पूरी दुनिया अपने अलग - अलग स्तर पर तैयारी कर रही है। इसी बीच नेजल वैक्सीन फिर से चर्चा में आ गया है। नेजल वैक्सीन जिसका साइंटिफिक नाम है BBV154 । यह पहली ऐसी कोरोना वैक्सीन है जिसका ट्रायल भारत में किया गया है। नेजल वैक्सीन के दो चरण के ट्रायल हो चुके हैं। वहीं अब तीसरे ट्रायल की मंजूरी भी एम्स से मिल गई है। पहला ट्रायल 18 से 60 साल तक वॉलेंटियर पर किया गया था अगस्त में दूसरे चरण के ट्रायल की मंजूरी मिल गई थी। वहीं अब तीसरे चरण का ट्रायल बाकी है। गौरतलब है कि नेजल स्प्रे वैक्सीन भारत में भारत बायोटेक द्वारा बनाई जा रही है। वहीं अन्य देशों में इस तरह की वैक्सीन पर रिसर्च जारी है।
क्या है नेजल स्प्रे वैक्सीन
नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन की बजाए नाक से दिया जाएगा। नाक के अंदर के इम्यून हिस्से को तैयार करेंगी। नेजल स्प्रे इसलिए अधिक कारगर मानी जा रही है क्योंकि कई सारी बीमारियों का प्रमुख हिस्सा नाक से गुजरता है। ऐसे में नेजल स्प्रे वैक्सीन नाक के अंदरूनी हिस्से में जाकर इम्यूनिटी को तैयार करती है। और बीमारियों को रोकने में मदद करती है।
इन देशों में भी चल रहा ट्रायल
भारत समेत ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटिश, इंग्लैंड में ट्रायल के साथ शोध भी जारी है। चीनी में भी इस वैक्सीन में कार्य जारी है। यूरोपीयन बिल्लियों पर नेजल वैक्सीन का प्रयोग किया गया। जो कोविड-19 के वायरस को 96 फीसदी तक कम करने में साबित हुई। यह अध्ययन ब्रिटिश सरकार की एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के केंद्र में रहकर काम किया। वहीं इंग्लैंड के लैंससेस्टर यूनिवर्सिटी और सैन एटोरिाय के टेक्सास बायोमेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों के शोध में वैक्सीन से फेफड़ों पर भी सकारात्मक रिजल्ट सामने आए है।