World Alzheimer's Day: आज विश्व अल्जाइमर दिवस, जानें कारण, लक्षण, बचाव के उपाय

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world alzheimer day: आज विश्व अल्जाइमर दिवस है। हर साल 21 सितंबर को विश्‍व अल्‍जाइमर दिवस मनाया जाता है। इस बीमारी के होने के बाद इंसान का जीवन संकट में पड़ जाता है, क्‍योंकि उसे कुछ याद नहीं रहता है। यह एक घातक रोग है, जो अच्छे-भले मनुष्य का जीवन दूभर कर देती है। 
 
आइए जानते हैं अल्जाइमर रोग के बारे में, इतिहास, क्यों होती है यह बीमारी, चरण, इसके लक्षण और बचने के उपाय- 
 
इतिहास- वर्तमान समय में दैनिक भागदौड़ के चलते और बदलते वक्‍त के दौर में जो बीमारी कभी 65 से 70 वर्ष की उम्र के बाद हुआ करती थी अब 40 से 50 की उम्र में भी होने लगी है। इतना ही नहीं अब तो नौजवान भी इसका शिकार होने लगे हैं। तो कई बार नौजवानों की गलत आदत की वजह से भी यह बीमारी जन्‍म लेने लगती है।
इसका सीधा सा उदाहरण है हर चीज के लिए अलार्म सेट करना।

अक्‍सर लोग खाना खा कर भूल जाते हैं, चीजों को रखकर भूल जाते हैं तो इंसान का नाम और शक्‍ल भी भूल जाते हैं। इस बीमारी का कोई सटीक इलाज नहीं मिला है। अत: विश्‍व अल्‍जाइमर दिवस को मनाने का उद्देश्‍य है लोगों को इसके प्रति जागरूक करना है। इस दिन को मनाने की शुरुआत 21 सितंबर 1994 को एडिनबर्ग में हुई थी। इसके बाद हर साल इस दिवस को मनाया जाता है। और लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक किया जाता है। 
 
अल्‍जाइमर बीमारी के 3 चरण
 
- पहले स्‍टेज में मरीज अपने करीबी, परिवार और दोस्‍तों को पहचानने लगता है। लेकिन वह महसूस करता है कि वह कुछ भूल रहा है। 
 
- दूसरी स्‍टेज में भूलने की प्रक्रिया में तेजी बढ़ जाती है। और लक्षण सामने दिखने लगते हैं। 
 
- तीसरी स्‍टेज उसे कुछ भी याद नहीं रहता है। वह इस स्थिति में पहुंच जाता है कि अपना दर्द भी बयां नहीं कर पाता है। 
 
क्‍यों होती है अल्‍जाइमर की बीमारी- 
 
विशेषज्ञों के मुताबिक करीब 65 साल की उम्र के बाद यह बीमारी घेरने लगती है। इसका कनेक्‍शन दिमाग से होता है। कहते हैं जब जरूरी टिश्‍यूज दिमाग तक नहीं पहुंचते हैं तब इस बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। अल्‍जाइमर का खतरा उस वक्‍त बढ़ जाता है जब दिमाग में प्रोटीन की संरचना में गड़बड़ी होने लगती है। इस बीमारी की चपेट में आने के बाद इंसान धीरे-धीरे अपनी याददाश्त खोने लगता है। 
 
रोग के लक्षण-  
 
- याददाशत कमजोरी हो जाना, छोटी-बड़ी चीजें याद नहीं रहना। 
- चीजों को समझने में समस्‍या होना। 
- याददाशत की कमी होना। 
- बोलने में दिक्‍कत होना। 
- स्‍थान और समय में मेलजोल नहीं कर पाना। 
- दिमाग का अस्थिर होना। 
- किसी पर विश्‍वास नहीं करना। तो किसी पर पूरा निर्भर हो जाना। 
- अकारण गुस्‍सा या चिड़चिड़ करना, रोना आना। 
- निर्णय लेने में कठिनाई आना। 
 
बचाव के उपाय- 
 
हालांकि इस बीमारी से बचाव का अभी तक कोई सटीक इलाज नहीं मिला है लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक लाइफ स्‍टाइल में बदलाव कर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। आइए जानते हैं कैसे-
 
- सकारात्मक सोच रखें।
- मेडिटेशन करें। 
- पानी भरपूर मात्रा में पिएं। 
- डाइट में साबुत अनाज, प्रोटीन को शामिल करें। 
- न्यूट्रिशनिस्ट से चर्चा कर भरपूर डाइट लें। 
- लोगों से मिलते रहें, मन नहीं करने पर भी लोगों के बीच बैठे रहे। 
- पर्याप्‍त नींद लें। नींद नहीं आने पर डॉक्‍टर से चर्चा करें। 

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