योग जीवन जीने की एक पद्धति है। स्वस्थ रहने के लिए योग नियमित किया जाना चाहिए। अक्सर लोग आधे अधूरे मन से योग की ओर आकृष्ट होते हैं और चाहते हैं कि लाभ पूरे हासिल हों। यह मुमकिन नहीं है। पहले आसनों को योग्य गुरु से सीखिए। किताबों में लिखे आसन केवल शारीरिक क्रिया सिखा सकते हैं लेकिन उसकी आत्मा केवल गुरु के पास ही सीखी जा सकती है।
जानिए आसनों का आसान तरीका-
उर्ध्वोत्तानासन
आसन परिचय
उर्ध्व - ऊपर, तान - तानना। शरीर को ऊपर की ओर तानते हुए त्रिबंध की स्थिति में स्थिर रहना ही उर्ध्वोत्तानासन कहलाता है।
कैसे करें
* पैर पास-पास, हाथ कमर के पास, रीढ़ व गर्दन एक सीध में, श्वास-प्रश्वास सामान्य।
* श्वास भरते हुए कंधों को पीछे कर हाथों को बगल से धीरे-धीरे ऊपर उठाएँ, कंधे की सीध में आने पर हथेली की दिशा आसमान की ओर करते हुए हाथों को कान से लगा दें। कोहनियों को मोड़ते हुए विपरीत भुजाओं को पकड़े। गर्दन नीचे झुकाएँ।
* पंजे के बल आएँ, ऐड़ी उठाएँ। श्वास-प्रश्वास सामान्य।
* श्वास भरते हुए पंजों पर दबाव, पिण्डलियों में कसावट, जंघा की मांसपेशियों को ऊपर की ओर खींचे, नितंब को कसावट देते हुए नाभि अंदर, सीना बाहर पूरी श्वास भर लें।
* अब प्रश्वास करते हुए नाभि को संकुचित कर उड्डीयन बंध लगाकर मूलबंध भी लगा लें। कुंभक की स्थिति में कुछ क्षण रुकें।
* धीरे-धीरे विपरीत क्रम से बंध खोलते हुए वापस उसी स्थिति में आएँ, जहाँ से आसन प्रारंभ किया था।
ध्यान रखें
* जंघा की मांसपेशियों को ऊपर उठाते समय घुटना भी ऊपर आएगा। ध्यान रखें इसे उठाएँ पर पीछे की ओर न दबाएँ।
* रीढ़ लचीली होगी।
* पाचन संबंधी रोग दूर होंगे।
* मधुमेह दूर होगा। शारीरिक वक्रता दूर होगी।
* पेडू प्रदेश के रोगों को दूर करने में लाभदायक।
* शरीर स्फूर्त व मन प्रफुल्लित करेगा।
* मोटापा व शरीर की अतिरिक्त चर्बी दूर होगी।
* लंबाई बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा।
* कब करें
रीढ़ विकृतियों में, कमजोर पैरों की स्थिति में, मोटापे में, ड्रॉपिंग शोल्डर व नैरो चेस्ट की स्थिति में।