योग क्रियाएँ शरीर के अंदर और बाहर के विकारों को तो ठीक करती ही है, मन को शांति भी देती है। तनाव या पीड़ा शारीरिक हो या मानसिक उसका सारे जीवन पर असर पड़ता है। योग की परंपरा सदियों पुरानी है जो आज भी उतनी ही सक्षम है जितनी पहले हुआ करती थी।
अंतर यह है कि आज योग क्रियाओं और आसनों के साथ वैज्ञानिक पहलुओं को भी जोड़ लिया गया है। योग के साथ आधुनिक विज्ञान के जुड़ने से यह ज्यादा प्रभावी हो गया है। पद्मासन में पालथी मारकर बैठा जाता है। इसमें पहले दाएँ पैर के टखने को बाएँ कूल्हे पर इस तरीके से धीरे-धीरे लाएँ कि पैर का तलवा ऊपर की ओर रहे। इसी प्रकार से बाएँ पैर को दाएँ कूल्हे पर रखें।
पद्मासन के नियमित अभ्यास से पेट सहित शरीर के निचले हिस्से का अच्छा खासा व्यायाम हो जाता है। दूसरे कूल्हों, घुटनों और टखनों में भी लचीलापन आता है। इससे शरीर के कई केंद्र पर दबाव पड़ता है जिससे शरीर के कई अंग अपना काम सुचारु रूप से और पूरी क्षमता से करते हैं।