जीवित मछली से दमा का उपचार

एएनआई। दमा और श्वासतंत्र से जुड़ी अन्य बीमारियों का जीवित मछली द्वारा उपचार सुनने में भले ही अटपटा लगे, पर हैदराबाद में इस नुस्खे के सचमुच सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं।

WDWD
हैदराबाद का बाथिनी परिवार मछली द्वारा दमा का उपचार पुश्तैनी तरीके से करता आ रहा है। यहाँ पर हजारों की तादाद में अपना इलाज कराने वाले लोगो की पंक्तियाँ आम बात है।

बस रोगी को अपने साथ मुरैल प्रजाति की दो इंच बड़ी मछली लेकर आना है। मछली के मूँह में एक विशेष प्रकार का प्राकृतिक लेप लगाकर मरीज को वह मछली निगलनी पड़ती है।

पेट में जाकर मछली अपने मूँह में लगी दवाई को छोड़ती है। यह क्रिया पंद्रह मिनट तक चलती है, जब तक मछली जीवित रहती है।

नई दिल्ली से दमे के इलाज के लिए पहुँचे तस्बीर सिंह ने बताया कि इस प्रणाली से उनकी स्थिति में काफी सुधार आया है।


बाथिनी परिवार के एक सदस्य बी. हरिनाथ बाथिनी ने बताया कि इस परिवार के एक किसान को यह चमत्कारिक शक्ति 1845 में मिली थी। तबसे ये लोग इस बीमारी का उपचार मुफ्त में कर रहे हैं। यह दवाई रोगियों को मृगासिर नामक सूर्य के एक विशेष चरण के दौरान दी जाती है, जो साल में एक बार दो दिनों के लिए आता है। इस प्रक्रिया का पूरा कार्यकाल तीन सालों का होता है।