एक सर्वेक्षण के मुताबिक उत्तर भारत में हाइपोथॉयरायड के मामले अधिक देखे जाते हैं। इस स्थिति में थॉयरायड ग्रंथि अधिक हॉर्मोन नहीं बना पाती है ताकि शरीर को सुचारु रूप से संचालित किया जा सके। इसमें कहा गया है कि दक्षिण और पश्चिम क्षेत्र में भी हाइपोथॉयराइड और इसके अलग-अलग प्रकार नजर आते हैं।