पिछले कुछ सालों में कैंसर को एक तेजी से बढ़ती बीमारी के रूप में प्रचारित किया गया, जिसके इलाज के लिए कीमोथैरेपी, सर्जरी या और उपायों को अपनाया जाता है, जो महंगे होने के साथ-साथ मरीज के लिए उतने ही खतरनाक भी होते हैं। लेकिन अगर हम कहें कि कैंसर जैसी कोई बीमारी है ही नहीं तो? जी हां यह बात बिल्कुल सच है कि कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि को स्वास्थ्य जगत में कैंसर का नाम दिया गया है, और इससे अच्छी खासी कमाई भी की जाती है। लेकिन इस विषय पर लिखी गई एक किताब "वर्ल्ड विदाउट कैंसर" जो कि कैंसर से बचाव के हर पहलू को इंगित करती है और अब तक विश्व की कई भाषाओं में ट्रांसलेट की जा चुकी है, का दावा है कि कैंसर कोई बीमारी नहीं बल्कि शरीर में विटामिन बी17 की कमी होना है।
आपको यह बात जरूर जान लेना चाहिए कि कैंसर नाम की कोई बीमारी है ही नहीं, बल्कि यह शरीर में विटामिन बी17 की कमी से ज्यादा कुछ भी नहीं है। इस कमी को ही कैंसर का नाम देकर चिकित्सा के क्षेत्र में एक व्यवसाय के रूप में स्थापित कर लिया गया है, जिसका फायदा मरीज को कम और चिकित्सकों को अधिक होता है। चूंकि कैंसर मात्र शरीर में किसी विटामिन की कमी है, तो इसकी पूर्ति करके इसे कम किया जा सकता है और इससे बचा जा सकता है।
यह उसी तरह का मसला है जैसे सालों पहले स्कर्वी रोग से कई लोगों की मौते होती थीं, लेकिन बाद में खोज में यह सामने आया कि यह कोई रोग नहीं बल्कि विटामिन सी की कमी या अपर्याप्तता थी। कैंसर को लेकर भी कुछ ऐसा ही है। विटामिन बी 17 की कमी को कैंसर का नाम दिया गया है, लेकिन इससे डरने या मानसिक संतुलन खोने की जरूरत नहीं है। बल्कि आपको इसकी स्थिति को समझना होगा और उसके अनुसार इसके वैकल्पिक उपायों को अपनाना होगा।
इस कमी को पूरा करने के लिए फ्रूट स्टोन, खूबानी, सेब, पीच, नाशपाती, फलियां, अंकुरित दाल व अनाज, मसूर के साथ ही बादाम विटामिन बी 17 का बेहतरीन स्त्रोत है। इनके अलावा मलबेरी, स्ट्रॉबेरी, ब्लू बेरी, ब्लैक बेरी, कपास व अलसी के बीच, जौ का दलिया, ओट्स, ब्राउन राइस, धान, कद्दू, ज्वार, अंकुरित गेहूं, ज्वारे, कुट्टू, जई, बाजरा, काजू, चिकनाई वाले सूखे मेवे आदि विटामिन बी17 के अच्छे स्त्रोत हैं। इन्हें अपनी रोज की डाइट में शामिल करके आप कैंसर से यानि इस विटामिन की कमी से होने वाली गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं।