शोध के अनुसार डीएनए का विश्लेषण करने से यह अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है कि कोई व्यक्ति कितना लंबा जीएगा या कितनी जल्दी मर जाएगा? ब्रिटेन में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जीवनकाल को प्रभावित करने वाले आनुवांशिक परिवर्तनों के संयुक्त असर का अध्ययन करके एक स्कोरिंग सिस्टम विकसित किया। यह शोध पत्रिका 'लाइफ' में प्रकाशित हुआ है।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के अशर इंस्टीट्यूट के पीटर जोशी ने स्कोरिंग सिस्टम के आधार पर कहा कि अगर हम जन्म के समय या बाद में 100 लोगों को चुनते हैं और अपने जीवनकाल स्कोर का इस्तेमाल कर उन्हें 10 समूहों में बांटते हैं तो सबसे नीचे आने वाले समूह के मुकाबले शीर्ष समूह के लोगों की जिंदगी 5 साल ज्यादा होगी।