कोरोना वायरस के प्रकोप ने पूरी दुनिया को एक साथ भयावह तजुर्बा दिया है। जिससे बचाव के लिए हर देश एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं। भारत में बन रही कोविड वैक्सीन और कोवैक्सीन के अलावा रूसी वैक्सीन स्पूतनिक वी को भी भारत के लिए मंजूरी मिल गई है। और देश के तमाम मेट्रो शहरों में यह वैक्सीन लगाई जा रही है। सभी देशों के वैज्ञानिकों ने अलग-अलग तरीकों से वैक्सीन को इजाद किया है। लेकिन सबसे अधिक चर्चा स्पूतनिक वैक्सीन की ही है। इसका सबसे बड़ा एक कारण यह है कि वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है।जिस पर यह काफी असरदार साबित हो रही है। आइए जानते हैं सबसे चर्चित वैक्सीन स्पुतनिक वी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन से कितनी अलग है।
स्पूतनिक वी वैक्सीन किस तरह अलग है कोवीशिल्ड और कोवैक्सीन से दरअसल सिर्फ दो महीने में तैयार की गई थी स्पुतनिक वी। इसे तैयार करने के लिए सर्दी होने वाले वायरस का उपयोग किया गया है। जिसे शरीर में डालने के लिए कोरोना वायरस के छोटे से अंश का भी इस्तेमाल किया गया। और वायरस को वैज्ञानिक तर्ज पर तैयार किया गया। वैक्सीन को बनाने में इस तरह के बदलाव किए गए की शरीर में जाने के बाद वह लोगों को किसी तरह का नुकसान नहीं हो। अन्य वैक्सीन के मुकाबले स्पुतनिक वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स भी बहुत कम रहे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक किसी वायरस का जेनेटिक कोड का टुकड़ा जब शरीर में जाता है इम्यून सिस्टम खतरे को पहचान कर उससे लड़ना सीख जाता है। वैक्सीनेशन के बाद वायरस के अनुरूप एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है। स्पुतनिक वी पहली और दूसरी खुराक के लिए टीक के दो अलग-अलग रूप का प्रयोग करता है। स्पुतनिक वी के डोज का अंतराल अन्य वैक्सीन के मुकाबले बहुत कम है। सिर्फ 21 दिन बाद ही आपको इसका दूसरा डोज भी लग जाएगा। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है। फिलहाल देश में स्पुतनिक वी वैक्सीन के लिए 75 करोड़ खुराक बनाने का टाइअप किया गया है। करीब 60 देशों में इसे मंजूरी मिली चुकी है।
कोविशील्ड और कोवैक्सीन से कैसे अलग है
कोवैक्सीन इनएक्टिवेटेड वायरस से बनी है, कोविशील्ड वायरल वेक्टर से बनी है। कोवैक्सीन का डोज 28 दिन बाद लगता है वहीं कोविशील्ड का 60 से 80 दिन बाद लगता है। स्पुतनिक वी भी वायरल वेक्टर की मदद से तैयार किया गया लेकिन उसके डोज अलग-अलग रूप के होते हैं। साथ ही 21 दिन का ही अंतराल होता है।