अंग दान को महापुण्य का काम कहा जाता है। क्योंकि अपने अंगों को दान करके कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। या फिर किसी की वजह से उन्हें जिंदगी जीने का एक और मौका मिल जाता है। अंग दान कभी भी किया जा सकता है। अक्सर लोग जीवित रहते हुए भी अंग दान करते हैं। लेकिन अभी भी इसे लेकर जागरूकता की कमी है। हर साल 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य है लोगों को अंगदान करने के प्रति जागरूक करना। आइए जानते हैं अंगदान के बारे में अहम जानकारी -
अंगदान और प्रत्यारोपण 'मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम 1994' के अंदर आता है। फरवरी 1995 से यह कानूनी रूप से लागू हुआ था। इसके बाद 2011 में अधिनियम में संशोधन कर ऊतक यानी टिश्यू को भी इसके अंतर्गत लाया गया। हालांकि आज भी देश में अंगदान करने के प्रति लोग बहुत अधिक जागरूक नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल करीब लाखों लोगों की मौत शरीर के अंग खराब होने से मौत हो जाती है।
सबसे पहले बता दें कि अंग और ऊतक दोनों अलग - अलग चीजें होती है। अंग (organ)और ऊतक (tissue)क्या होते हैं। दरअसल अंग शरीर का एक हिस्सा होता है। जो विशिष्ठ प्रकार का कार्य करते हैं। अंग में ह्दय, फेफड़े, गूर्दे, यक़त और आंत प्रत्यारोपित और दान कर सकते हैं। वहीं ऊतक जो प्रत्यारोपित हो सकते हैं जैसे - अस्थ्यिां, कार्निया, ह्दय वॉल्व, नसें, त्वचा, रक्त वाहिकाएं और कण्डरा।
टिश्यू को करीब 4 से 5 साल सुरक्षित रखा जा सकता है।
अगर प्राकृतिक मृत्यु होती है तो कॉर्निया, दिल के वॉल्व और हड्डी को दान किया जा सकता है। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को भी ऑर्गन डोनेशन किया जा सकता है। लेकिन माता-पिता की अनुमति होना आवश्यक है। वहीं कैंसर, एचआईवी, मधुमेह, ह्दय के मरीज होने पर अंगदान करने से पहले डॉक्टर से जरूर चर्चा करें।