चलती गाड़ी में क्यों आती है नींद? जानें इसके पीछे क्या है वैज्ञानिक कारण

WD Feature Desk
सोमवार, 18 नवंबर 2024 (16:34 IST)
sleepiness while travelling

Sleepiness on the road: यात्रा करते समय, विशेषकर गाड़ी, ट्रेन, या बस में, बहुत से लोगों को नींद आने लगती है। यह अनुभव आम है और अक्सर सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है। आइयेइस आलेख में हम इसके पीछे की वजह समझने कई कोशिश करते हैं।  

चलती गाड़ी में नींद आने के मुख्य कारण
रिदमिक वाइब्रेशन (Rhythmic Vibrations)
गाड़ी के चलते हुए कंपन और झटकों का एक रिदमिक पैटर्न बनता है। यह कंपन मस्तिष्क को शांत कर देता है, जिससे शरीर को आराम मिलता है और नींद आने लगती है।

सफर का थकावट भरा प्रभाव
लंबी यात्रा से शरीर थक जाता है। सफर के दौरान आरामदायक सीट और लगातार एक ही स्थिति में बैठने से नींद आना स्वाभाविक है।

 
गाड़ी का मोशन : गाड़ी चलते समय कम फ्रीक्वेंसी में लगातार धीरे-धीरे हिलती रहती है। इसके कारण हमारा शरीर भी धीरे-धीरे हिलता रहता है और हमें नींद आ जाती है।

एलर्टनेस की कमी: गाड़ी में हमारी आंखों और कानों को ज्यादा कुछ खास अनुभव करने को नहीं मिलता। इसकी वजह से दिमाग की एलर्टनेस कम हो जाती है और हमें नींद आने लगती है। कोई खास आकर्षण न मिलने की वजह से दिमाग सुस्त पड़ने लगता है और हमें नींद आती है।

थकान और नींद की कमी: जो लोग पहले से ही थके हुए हैं या नींद पूरी नहीं हुई हैं उन्हें यात्रा के दौरान ज्यादा आसानी से नींद आ सकती है। गाड़ी के भीतर वैसे भी सोने के लिए अनुकूल वातावरण होता है, जिससे शरीर आराम पाने के किसी भी अवसर का फायदा उठाती है, खासकर शांत वातावरण में।

नेचुरल लाइट की कमी: कार या ट्रेन के बंद वातावरण में नेचुरल लाइट काफी कम आती है और गाड़ी के अंदर की लाइट से ही काम चलता है। ऐसे में कई बार हमारा सार्केडियन रिदम बिगड़ जाता है और हमारे दिमाग को लगता है कि सोने का समय हो गया है। इसलिए हमें नींद आने लगती है।

शारीरिक बदलाव: यात्रा के दौरान शरीर में होने वाले कुछ शारीरिक बदलाव, जैसे- ब्लड प्रेशर कम होना, शरीर का तापमान कम होना आदि, भी नींद आने की वजह बन सकता है।

मोनोटोनी: सफर के दौरान पढ़ने, काम करने या बातचीत करने जैसी इंगेजिंग एक्टिविटी की कमी के कारण दिमाग सोने की स्थिति में जा सकता है। ऐसा अक्सर लंबी यात्रा में होती है।

रोशनी और आवाज़ का असर
गाड़ियों में हल्की-फुल्की रोशनी और बाहर की आवाज़ें सफर को शांतिपूर्ण बनाती हैं। इससे दिमाग़ को आराम मिलता है और यह नींद को प्रेरित करता है।

शरीर की सर्केडियन रिदम का प्रभाव (Circadian Rhythm)
शरीर की आंतरिक घड़ी, जिसे सर्केडियन रिदम कहा जाता है, यात्रा के समय गाड़ी के झटकों से प्रभावित हो सकती है। इससे शरीर को यह संकेत मिलता है कि यह आराम करने का समय है।
ALSO READ: क्या सच में खड़े होकर पानी पीने से खराब हो जाते हैं घुटने? जानिए सच्चाई
 
यात्रा के दौरान नींद के लिए जरूरी सुझाव  
चलती गाड़ी में नींद आना एक सामान्य अनुभव है, जो हमारे शरीर और मस्तिष्क की प्रतिक्रिया का हिस्सा है। यात्रा के दौरान आरामदायक स्थिति और शरीर की थकावट इस प्रक्रिया को और आसान बना देती है। हालांकि, उचित स्थिति में बैठना और सुरक्षित सफर करना हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख