आर्थिक विकास का लक्ष्य कितना आसान

विशाल मिश्र
WDWD
केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की पुस्तक 'भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक नजर: कुछ हटकर' में उनके द्वारा लिखे गए वे आलेख शामिल किए गए हैं, जो उन्होंने राजग सरकार के दौरान इंडियन-एक्सप्रेस के लिए लिखे थे।

पुस्तक में उन्होंने राजग सरकार के अच्छे कार्यों की सराहना भी की । चिदंबरम के अनुसार उन्होंने कभी अपने को कांग्रेस पार्टी का नहीं माना। देश में लगभग हमेशा से ही दयनीय हालात में गुजर-बसर कर रहे किसानों के लिए उन्होंने उपाय सुझाया कि किसानों को धान और गेहूँ का मूल्य प्रति किलो 1 रुपए अधिक दिया जाए। क्योंकि उपभोक्ता बिसलरी की बॉटल पर 12 रुपए बिना किसी परेशानी के खर्च करने को तैयार रहता है।

इस वर्ष (2008) में उन्होंने केंद्रीय वित्तमंत्री पद पर रहते हुए किसानों के 65 हजार करोड़ रुपए के ऋण माफ करने की घोषणा की। 31 मार्च वर्ष 2003 तक भारत ने अपने निर्यात का 50 बिलियन डॉलर का आँकड़ा पार कर लिया था। इसे मील का पत्थर बताते हुए उन्होंने तत्कालीन वा‍णिज्य मंत्री अरुण जेटली की प्रशंसा की। जेटली ने इसकी घोषणा कानकुन में हुई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की बैठक में की थी।

स्वदेशी अपनाओ का मुखर विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यदि हम आयात बंद कर दें तो आम भारतीय का जीवन कितना दुष्कर हो जाएगा। क्योंकि हम क्रूड ऑइल और एलपीजी के बहुत बड़े भाग का आयात करते हैं।

विदेशी निवेश को आकर्षित करने के साथ-साथ अस्थिर सरकार, दंगों, कारगिल आदि स्थिति से बचने के सुझाव भी दिए। 1996, 1998 और 1999 में गठबंधन सरकारें असफल हुईं थीं जबकि निवेशक इन बिंदुओं पर प्रमुख रूप से ध्यान देते हैं।

आर्थिक विकास के लिए पर्याप्त मात्रा में एकत्र हो चुके विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग देश के विकास कार्यों में करने की सलाह उन्होंने केंद्रीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को दी और यदि भारत ऐसा नहीं करता है तो हमारी हालत ठीक वैसी ही होगी जैसे कि देश के गोदामों में करोड़ों टन खाद्यान पड़ा सड़ रहा हो और फिर भी देश में भूख से मौतें हो रही हों। इसके एक भाग का उपयोग विदेशी ऋण को चुकाने के लिए किया जाए जिस पर ब्याज के रूप में भारी-भरकम रकम का भुगतान देश को प्रतिवर्ष करना पड़ता है।

फील गुड फैक्टर की आलोचना करते हुए चिदंबरम ने लिखा कि आज देश में कौन फील गुड कर रहा है। सेंसेक्स में हुई अप्रत्याशित तेजी और रुपए की मजबूती से देश में सभी फील गुड करने नहीं लग जाएँगे। इसी फील गुड मुद्दे के आधार पर राजग ने वर्ष 2004 में आम चुनाव लड़ा था।

कारगिल युद्ध के बाद हुई रक्षा सामग्री खरीद में घोटाले का आरोप उन्होंने तत्कालीन रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडीस पर लगाया वहीं बोफोर्स घोटाले में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गाँधी को बेकसूर बताया। इसके लिए चिदंबरम ने राजीव से हुई व्यक्तिगत बातचीत का हवाला भी दिया।

अपने पड़ोसी देश नेपाल, श्रीलंका और इराक की आंतरिक समस्याओं का जिक्र करना भी चिदंबरम ने आवश्यक समझा क्योंकि पड़ोसी देशों के हालों का असर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हमारे देश पर पड़ता है।

किताब में उन्होंने प्रत्येक विषय को 4-5 पेजों में समेटा‍‍ है। पाठक धाराप्रवाह इसे पढ़ता जाता है और कहीं भी ऊब महसूस नहीं होती। आम आदमी से जुड़े मुद्दों के समावेश से ‍पुस्तक और भी रोचक हो गई है। अनुवादक जयंती ने भी इसके मूल की आत्मा का पूरा-पूरा ध्यान रखा है। कहीं भी लगता नहीं है कि आप किसी अन्य भाषा का अनुवाद पढ़ रहे हैं। व्याकरण संबंधी अशुद्धियाँ बिलकुल भी नहीं हैं। मुश्किल आर्थिक मसलों को सरलता से समझाने में पुस्तक और चिदंबरम दोनों सफल रहे हैं । *

पुस्तक : भारतीय अर्थव्यवस्था पर एक नजर : कुछ हटकर
लेखक : पी. चिदंबरम
मूल्य : 250 रुपए
अनुवादक : जयंती