एक भाषा हुआ करती है

पंकज चौधरी
ND
समकालीन हिंदी कविता में सूचनाओं का इस्तेमाल करके कविताएँ लिखने का श्रेय जिन कवियों को हासिल है, उदय प्रकाश उनमें से एक हैं। दिल्ली सिर्फ भारत की राजनीतिक राजधानी ही नहीं है बल्कि यह मीडिया की भी राजधानी है। मीडिया के इस महासागर से उदय प्रकाश जैसा सजग, चौकस और चौकन्ना कवि अछूता रह जाए, ऐसा नामुमकिन है।

पिछले एक दशक के दौरान सूचनाओं का जो विस्फोट हमें देखने को मिलता है, उदय प्रकाश का कविता संग्रह 'एक भाषा हुआ करती है' उसकी मुकम्मल गवाही देता हुआ जान पड़ता है। वह जमाना गया जब किसी सूचना के आधार पर लिखी कविता को कविता मानने में आलोचकों को तकलीफ होती थी। आज हमारा जीवन जगत सूचनाओं से इस कदर आक्रांत या घिरा है कि उसके बगैर हम किसी ज्ञान और कविता की कल्पना नहीं कर सकते।

अपने समय और समाज की सम्यक्‌ पड़ताल हम सूचनाओं का सिरा पकड़कर ही कर सकते हैं। 'टी सीरीज' कंपनी के मालिक गुलशन कुमार की हत्या की घटना से लगभग हम सारे लोग वाकिफ हैं। गुलशन कुमार या पिछले एक दशक के दौरान इस देश में जितनी भी बड़ी हत्याओं को अंजाम दिया गया और अदालत में जब उसके चश्मदीद गवाहों को पेश किया गया तो वे किस तरह गवाही देने से मुकर गए, इसका रोंगटे खड़े कर देने वाला वर्णन उदय प्रकाश अपनी कविता 'चंकी पांडे मुकर गया है' में करते हैं - 'साथियों यह एक लुटेरा समय है/ नई अर्थव्यवस्था की यह नई सामाजिक संरचना है/आवारा हिंसक पूंजी की यह एक बिलकुल नई ताकत है।'

घटनाओं (सूचनाओं) का सिरा पकड़कर हम अपने समय के सत्य तक पहुँच सकते हैं, उदय प्रकाश की कविता इसकी तसदीक करती है। इतना ही नहीं, इस कविता के माध्यम से कवि समय का एक भयावह चित्र प्रस्तुत करता है- 'यह भ्रष्ट राजनीति का ही पदभ्रष्ट सांस्कृतिक विस्तार है/एक उत्सव, एक समारोह, एक राजनेता और आलोचक, कवि और दलाल/संगठन और गिरोह में फर्क बहुत मुश्किल है।' आज चीजें किस तरह से गड्डमड्ड हो रही हैं इसका साफ संकेत भी उदय की कविता दे देती है। कहने को तो यह एक कविता है लेकिन इसके साथ कितनी कविताएँ चलती हैं यह बता पाना मुश्किल है।

उदय प्रकाश एक ग्लोबल कवि हैं। ग्लोबल इस अर्थ में हैं कि मानवता, नैतिकता सच्चाई और ईमानदारी की हत्या चाहे भारत में हो या ईराक में, उदय उसके खिलाफ खड़े होते हैं। इन कविताओं में उदय की सबसे बड़ी खासियत यह है, वे सिर्फ अपने समय, समाज और जीवन का ही विश्लेषण करके नहीं रह जाते बल्कि इसके साथ-साथ वे बेहतरीन कविताएँ भी रच जाते हैं।

कविता में बिंबों, प्रतीकों और रूपकों का प्रयोग करने के लिए उनके सामने पूरा ब्रह्मांड ही पसरा हुआ रहता है और फिर वे अपनी जानकारी, मेधा, कल्पना और अनुभवों का सहारा लेते हुए उसमें से जो चुनना होता है, उसे चुन लेते हैं। इस तरह से उदय प्रकाश अपनी कविता या कहानी का निर्माण करते हैं। 'छिपकली' कविता या प्रतीक के माध्यम से उदय प्रकाश एक बड़े सच का उद्घाटन कर जाते हैं।

वह दिखाते हैं कि छिपकली किसी भी सत्ता प्रतिष्ठान या तानाशाहों के लिए किस तरह सबब का काम कर सकती है। पिछले दो दशकों का जिस सघनता और सूक्ष्मता से उदय प्रकाश की कविताएँ चित्र बनाती हैं, वे दुर्लभ हैं समकालीन नागरीय माहौल परिवेश का रेशा-रेशा खोलकर रख देती हैं ये कविताएँ। संग्रह की कविताओं के माध्यम से कहा जा सकता है कि उदय प्रकाश सिविक सेंस के कवि हैं।

पुस्तक : एक भाषा हुआ करती है (कविता संग्रह)
कवि : उदय प्रकाश
प्रकाशक : किताबघर
मूल्य : 140 रुपए

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