आईआईटी कानपुर में सभी भारतीय भाषाओं के लिए उपयोग की जा सकने वाली एक बहुत सरल कुंजीपटल एवं उसकी प्रणाली तैयार की गई जिसका पहला प्रोटोटाइप टर्मिनल 1978 में तैयार किया गया। इसे नई दिल्ली में आयोजित तृतीय विश्व सम्मेलन में प्रस्तुत भी किया गया था। इसके विकास में आईआईटी कानपुर के कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ. आरएमके सिन्हा का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। बिरला विज्ञान और टेक्नोलॉजी संस्थान, पिलानी और डी.सी.एम., दिल्ली के संयुक्त प्रयास में प्रथम द्विभाषी कंप्यूटर ‘सिद्धार्थ’ का विकास 1980 के आसपास हुआ।
एप्पल ने 1997 में भारतीय भाषा किट प्रस्तुत करके हिन्दी में कार्य करना संभव किया। इसी दौरान 'मोटोरोला' कंपनी ने भारतीय भाषाओं में पेजर टेक्नोलॉजी के विकास के लिए मानक ISCII के ही अनुरूप 'ISCLAP (इंडियन स्टेंडर्ड कोड फ़ॉर लैंग्वेज पेजिंग) के मानक का विकास किया था जिसकी सहायता से संदेशों का आदान-प्रदान पेजर पर हिन्दी, मराठी और गुजराती में करना संभव हो पाया। 1998 में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी आईबीएम ने डॉस–6 का हिन्दी संस्करण तैयार किया।