कभी छोटे-छोटे नारे, तो कभी मधुर-मोहक संदेश, कभी कोई विज्ञापन तो कभी सिर्फ नाम और पते के रूप में कभी गुदगुदाते चुटकुले तो कभी रोमांटिक शायरी। इसे इंटरनेट पर हिन्दी का शैशवकाल भी कहा जा सकता है। बाद में डायनामिक फॉन्ट के जरिए हिन्दी के कदमों में गति आई।