देश को सही तरह से चलाने के लिए संविधान का निर्माण किया गया। 9 दिसंबर 1946 ई. को संविधान सभा की पहली बैठक नई दिल्ली स्थित काउंसिल चेंबर के पुस्तकालय भवन में हुई थी। 11 दिसंबर 1946 ई. को डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थायी सदस्य निर्वाचित हुए, जबकि इसके अस्थायी सदस्य के रूप में डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को चुना गया।
बी.एन. राव द्वारा आयोजित किए गए संविधान सभा में 29 अगस्त 1947 को एक संकल्प पारित करके प्रारूप समिति का गठन किया गया तथा इसके अध्यक्ष के रूप में डॉ. भीमराव अंबेडकर को चुना गया। प्रारूप समिति में सदस्यों की संख्या कुल 7 थी। जिसमें डॉ. भीमराव आंबेडकर, एन. गोपाल स्वामी आयंगर, अल्लादि कृष्णास्वामी अय्यर, कन्हैया माणिकलाल मुंशी, सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला, एन. माधव राव, डी.पी. खेतान शामिल थे।
संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई थी। इस प्रकार भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में कुल 2 वर्ष 11 महीना और 18 दिन लगे थे। इस कार्य पर लगभग 6.4 करोड़ रुपए खर्च हुए। साथ ही भीमराव अंबेडकर ने विश्व के महत्वपूर्ण 60 देशों के संविधानों को बारीकी से अध्ययन किया और भारत का संविधान 26 जनवरी 1949 को बनकर तैयार हुआ। 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया था।
जब इसे लागू किया गया था, तब इसमें कुल 22 भाग 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान समय में भारतीय संविधान में 25 भाग 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूचियां हैं। संविधान सभा का अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई थी और उसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया।