धार्मिक महत्व : हिंदुओं के तीज-त्योहार बिना गौ के घी के पूरे नहीं होते। तीज त्योहार के दिन घर को गौ के गोबर से ही लीपा जाता है। उस पर देवताओं की प्रतिमाओं को बैठाया जाता है। कई लोग किसी जरूरी काम को करने से पहले गाय के दर्शन को बड़ा शुभ मानते हैं। वहीं गाय के गोबर को खेती के लिए बहुत उपयोगी माना गया है। गाय के अमृत जैसे दूध देने व अन्य गुणों के चलते इसे धरती माता के समान पूज्य माना गया है। इसीलिए गाय को गौ माता कहा जाता है।
इसके अलावा गांवों में गाय के गोबर से बने कंडे का इस्तेमाल ईंधन के रूप में किया जाता है। यह बहुत दुख की बात है कि प्रोद्योगिकी के विकास के साथ हम गाय की महत्ता को भूलते जा रहे हैं। भगवान कृष्ण की जिंदगी में भी गाय का बड़ा महत्व रहा है। कृष्ण का बचपन ग्वालों के बीच बीता। उन्हें लोग गोविंदा व गोपाल कहके बुलाते थे जिसका मतलब होता है गायों का रक्षक व दोस्त।
गाय का दूध बच्चों एवं रोगियों के लिए बहु-उपयोगी होता है। गाय स्वभाव से शांत होती है। गाय का बहुत बड़ा शरीर होता है। इसके चार पैर, दो सींग और एक लंबी पूंछ होती है। इसके दो कान होते हैं। भारत में लोग गाय की पूजा करते हैं। गाय की पूंछ के निचले हिस्से में ढेर सारे बाल होते हैं। जो कई रंग के होते हैं जिनमें लाल रंग के साथ काले,भूरे और सफेद रंग के बाल होते हैं। गाय के जबड़े के नीचे हिस्से में बस दांत होते हैं। उसके पैर के खुर अलग-अलग होते हैं।
जंगली गाय जंगल में रहती हैं। गाय घास व पेड़ों की पत्तियां खाती है। वह एक समय में एक बछड़े या बछड़ी को जन्म देती है। वह अपने बछड़े को बहुत प्यार करती है। गाय बैठकर अपने मुंह से जुगाली भी करती है। गाय दूध देती है जिससे दही,पनीर,मक्खन और कई प्रकार के मिष्ठान बनाए जाते हैं। हमें ऐसे प्यारे अच्छे पशु का ख्याल रखना चाहिए।