Eid Essay In Hindi: हिंदी में ईद पर निबंध

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कब-कब मनती है ईद : इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार दो बार ईद मनाई जाती है। ईद उल फित्र और ईद उल अज़हा को। ईद-उल-फितर को मीठी ईद और ईद-उल-अजहा को बकरीद के नाम से जाना जाता है। रमजान माह के तीसवें रोजे के चांद को देखने के बाद ईद-उल-फित्र मनाई जाती है, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है। और कुरबानी की ईद इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक 12वें महीने की 10 तारीख को ईद उल अज़हा या ईद-उल-जुहा के रूप में मनाई जाती है।
 
रमजान की ईद क्यों : इस्लाम धर्म में रमज़ान ईद का दिन बहुत ही खुशी का दिन माना गया है। ईद के दिन बंदे न केवल अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं, बल्कि वे अपने लिए और अपने करीबी लोगों के लिए अल्लाह से दुआ भी करते हैं। 
 
इतिहास : ईद उल फित्र का दिन पवित्र रमज़ान माह के बाद आता हैं, जब सभी लोग पूरे माह रमज़ान के रोज़े रखने के बाद अल्लाह से दुआ करते हैं। इसके बाद शव्वाल माह आता है और इस्लामिक कैलेंडर के आखरी साल में ज़ुल हज माह की 10 तारीख को ईद उल अज़हा मनाई जाती है। इस दिन हाजी हज़रात का हज पूरा होता है और पूरी दुनिया में लोग कुर्बानी देते हैं।
 
शरीयत के मुताबिक कुर्बानी हर उस औरत और मर्द के लिए वाजिब है, जिसके पास 13 हजार रुपए या उसके बराबर सोना और चांदी या तीनों (रुपया, सोना और चांदी) मिलाकर भी 13 हजार रुपए के बराबर है। दोनों ही ईद का शरीयत के अनुसार बहुत महत्व है साथ ही ईद सामाजिक भाईचारा भी बढ़ाती है। पूरी दुनिया में मुसलमानों को दूसरे महज़ब के लोग खासतौर पर ईद की शुभकामनाएं देते हैं।
 
ईद की विशेषता : ईद के दिन की एक विशेषता यह भी है कि शहर के लोग एक विशेष नमाज़ अदा करते हैं, जिसके लिए वे शहर में एक स्थान पर एकत्रित होते हैं, इसे ईदगाह कहा जाता है। इस नमाज़ के बाद सभी लोग गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई देते हैं। ईद की खुशियां बच्चों में खासतौर पर देखी जा सकती है। इस दिन मनपसंद, स्वादिष्ट और लजीज पकवान बनाएं जाते हैं। और जकात स्वरूप में जरूरतमंदों की मदद तथा उन्हें खाना भी खिलाते हैं। 
 
इस्लामिक मान्यता के अनुसार पवित्र माह रमजान की समाप्ति के लगभग सत्तर दिनों बाद मनाया जाने वाला कुरबानी की ईद का यह त्योहार इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का प्रमुख त्योहार है।

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