चमन: होना क्या था तड़पा, चीखा, फड़फड़ाया, उड़ा तो छत से जा कर टकराया, फिर कई बार कमरे में गोल-गोल उड़ा और कई बार चारों दीवारों से टकराया।
रमन: फिर?
चमन: फिर उड़ कर हॉल में पहुंच गया। वहां भी अंधों की तरह खूब टक्कर मारीं। फिर किचन में पहुंच गया। वहां तो बहुत ही तड़पा, कई बर्तन फोड़ दिए। फिर बैडरूम में पहुंचा तो सीधा जाकर ड्रेसिंग टेबल के शीशे से टकराया। शीशा चकनाचूर हो गया और उन्ही टुकड़ों में वो भी फर्श पर ढेर हो गया।
रमन:: ओह, फिर मर गया?
चमन: मरने का तो कह नहीं सकता, मुझे लगता है शायद पेट्रोल ख़त्म हो गया होगा।