पति: मैं उस ख़राब चाकू से टमाटर नहीं काट सकता । क्या तुम चाहती हो कि मैं उससे तरबूज काटूं? तुम मुझसे कितनी उम्मीद करती हो?
पत्नी - चाय बनाओ।
पति: ओहो, तुम्हे तो पता है मेरा दिन तुम्हारी चाय के बिना शुरू नहीं होता।
पत्नी - अच्छा तो तुम मशीन में कपड़े डाल दो, तब तक मैं चाय बनाती हूँ।
पति - अब मुझे कैसे पता चलेगा कि कौनसे कपड़े धोने हैं यार .. तुम ही देखो!
पत्नी - ठीक है। बर्तन जगह पर रखो।
पति: अगर मैं बर्तन रख दूँ तो जब तुम्हे वो चाहिए, तब तो मिलेगा नही। अच्छा होगा तुम ही उन्हें याद से रख लो।
पत्नी - फर्नीचर साफ कर दो ।
पति - साफ ही तो है! तुम्हें ना, खाली काम करने की बहुत आदत है। पहले से ही इतने काम है, तो उन्हें साझा किया जाना चाहिए। इतने प्यार से पूछ रहा हूँ तो बताओ, तुम्हारा काम हल्का करने में मैं कैसे तुम्हारी सहायता कर सकता हूँ।
पत्नी: फिर अब क्या करना चाहते हो?
पति - तुम ऐसी टेढ़ी बात क्यों कर रही हो? मैं तुम्हारे लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हूं।
पत्नी - टेढ़ेपन की कोई बात नहीं है, लेकिन अब मेरे पास कोई काम बचा ही नहीं है।
पति- वही तो मैं कहता हूं। हम दोनों एक साथ मिल कर सभी काम करते हैं इसलिए तो तुम अपना सारा काम आसानी से निपटा लेती हो।