अपना शोध पत्र पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि सुबह जागने के बाद से दोपहर दो बजे तक तो बाफला भक्त बाफला बनाने में व्यस्त रहता है और दो बजे भरपूर लड्डू बाफले सूतने के बाद शाम 7 सात बजे तक अजगर की तरह एक ही जगह पड़ा रहता है.. अब पहली बात तो ये है कि पूरा दिन बनाने खाने में व्यस्त रहेगा तो घर के बाहर निकल ही नहीं पाएगा तो सोशल डिस्टनसिंग अपने आप एकदम सौ टका होगा ही होगा .. तो संक्रमण फैल ही नहीं पाएगा.
देखा जाए तो नगर निगम को, बाफले का आटा/दाल/घी/नींबू (भर पल्ले) और कंडे की किट घर घर बाँटनी चाहिए ताकि लोगो को घर मे रखने के लिए पुलिस बल की ज़रूरत नहीं पड़ेगी, चाहे तो मास्क और सेनिटाइजर बाँटने वाले स्टॉल से बाफला किट बाँटने चाहिए ताकि लोग खुशी खुशी घर में रहें।
नेता लोग चाहें तो अपने विरोधियों के फोटो छपे कंडे बँटवा सकते हैं लोगों के बाफले सिकेंगे, विरोधियों के दिल जलेंगे, नेताजी के कलेजे में ठंडक पड़ेगी और चीनियों का फैलाया कोरोना निपटेगा, एक पंथ चार काज.