राजवाड़े की रेवड़ी सा मुंह हुआ जाता है : Indori Funny Poem

Webdunia
इन्दौर की शायराना और रोमांटिक यात्रा लोटपोट कर देगी आपको 
 
तुम्हारे हुस्न के आडा बाजार में फंसकर,
 
इश्क के यशवंत सागर में डूब जाता था,
 
दिल धड़कता था कभी गांधीनगर सा 
 
अब यादों का रामबाग बन जाता है
 
तुम लगती हो जैसे कचोरी लाल बाल्टी की,
 
राजवाड़े की रेवड़ी सा मुंह हुआ जाता है
 
 
तेरी सूरत के गेन्देश्वर मंदिर को देखकर,
 
मेरा मन भी मेघदूत सा मचल जाता है 
 
चहकती हो तुम चिड़ियाघर की शाम सी,
 
मेरा प्यार यहाँ मल्टीप्लेक्स सा हुआ जाता है
 
तेरी पतली कमर है जैसे गलियाँ सुखलिया की,
 
उस पर मेरा दिल रानीपुरा के जाम सा रुक जाता है
 
बदन है खूबसूरत तुम्हारा चिकन की खजूरी बाजार सा,
 
और ये आशिक रिजनल पार्क में टहलने जाता है।
 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख