ठंड के इंदौरी डायलाग लोटपोट कर देंगे आपको : Indori jokes

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क्यों वो लाड़ी, तेर से बोला था नि, कि बिस्तर पेटी मे से राकेस के बाउजी का कत्थई मे का सुटर हेड़ देना। पल्ले नी पड़ती तेको हेना... 
 
तो भिया,समझ तो तुम गए होंगे कि अपन बात कर्रे हैं, इंदौर की लपक बजने वाली ठंड की... 
 
इंदौर में ठंड के टेम पे घर-गलीओन मे इधर उधर ऐसे डायलाग होन भोत सुन्ने मे आते हैं:-
ठंड के इंदौरी डायलाग-
 
अरे पेलवान, रात को किंवाड़  खुल्ला रेग्या यार, ऐसी सर-सर हवा भे री थी कि क्या बितलऊँ... 
ले फिरी हो तो बोल, लछ्मि वाले के यां से कढ़ई का दुद खेच के आते हैं.. नरे दिन हो गिये... 
अरे वो गणेश केप पे रेगजिन वाले ,हाथ के हेन्ड- ग्लब्ज  मिल जायेंगे? गए साल बी लेने रे गिये थे.. हाथ होन की बारा बज्जाती है यार सुबे सुबे।
#ऐ सुनीता, छोरे को... टोपा तेरे काकाजी पेरांयेगे... एं! 
भोत लपक बजरी है भिया आज तो... 
साम का पोग्राम जमाना हो तो अबी से बोल देना पेलवान,, राकेस को मउ कैंटिन से दो बाटल का के दूं ?
केलेक्टर चले?मस्त सुटर - जरकिन आये हेंगे, अरे चलो तो सरी, नी जमा तो तिब्बती छोरीओन को ई देख आयेंगे... 
ये सिगड़ी चेत नी री, घासलेट कां रख्खा है, गच्ची पे से गिट्टी कने सुखी लकड़ी ओन होएगी, ला तो... भार से चोकीदार को बुला ले, हात ताप लेगा बापड़ा। 
 
भिया, इस बार तो रिकाड टूटेगा क्या... केरिया हु मे..तो भिया केने का ये मतलब पड़ रीया है कि ठंड का रिकार्ड  टूटे,नि टूटे...नि पता, पर इंदौरी नी टूटता...बारिस, गर्मी और अब ये अंड संड ठंड ...इंदौरी तो सब मे खुस रेता...
किसी को कुछ नि केता... चुपचाप सबकुछ सेता... चलो, अब मै निकलूं, नेता... 
 
तुमारा भई-
चिंटू इंदौरी

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